Mere Manasik Upadaan (मेरे मानसिक उपादान)

By Babu Gulab Rai (बाबू गुलाबराय)

Mere Manasik Upadaan (मेरे मानसिक उपादान)

By Babu Gulab Rai (बाबू गुलाबराय)

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Specifications

Print Length

300 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2013

ISBN

8173155763

Weight

355 Gram

Description

बाबू गुलाबरायजी के संबंध में कुछ साहित्यकारों के विचार स्मृति ग्रंथ से- सहज मानव और महान्ï साहित्यि बाबूजी अधीतमाध्यपित मर्जित यश: के मूर्तिमान् रूप थे| उनके स्नेह, वैदुष्य और सहृदयता ने अनेक कृती व्यक्तित्वों को गौरवशाली बनाया है| उनको गुरु और गुरुतुल्य माननेवालों की संख्या बहुत अधिक है| उन्होंने हिंदी संसार को बहुत दिया है| वे दोनों हाथ लुटानेवालों में थे| कभी उन्होंने प्रतिपादन की आशा नहीं रखी| वे सब प्रकार से महान् थे| -हजारी प्रसाद द्विवेदी जागरू• साहित्य आदरणीय भाई गुलाबरायजी हिंदी के उन साधक पुत्रों में थे, जिनके जीवन और साहित्य में कोई अंतर नहीं रहा| तप उनका संबल और सत्य स्वभाव बन गया था| उन जैसे निष्ठावान्, सरल और जागरूक साहित्यकार विरले ही मिलेंगे| उन्होंने अपने जीवन की सारी अग्निपरीक्षाएँ हँसते-हँसते पार की थीं| उनका साहित्य सदैव नई पीढ़ी के लिए प्रेरक बना रहेगा| -महादेवी वर्मा अपना प्रमाण बाबूजी ने हिंदी के क्षेत्र में जो बहुमुखी कार्य किया, वह स्वयं अपना प्रमाण आप है| प्रशंसा नहीं, वस्तुस्थिति है कि उनके चिंतन, मनन और गंभीर अध्ययन के रक्त-निर्मित गारे से हिंद भारती के मंदिर का बहुत सा भाग प्रस्तुत हो सका है| -उदयशंकर भट्ट साहित्यानुष्ठा बाबू गुलाबरायजी आधुनिक हिंदी के विशिष्ट प्राणवान्, निर्माता, साहित्यानुष्ठा हैं| जीवन भर उन्होंने हिंदी को समृद्ध करने के लिए सारस्वत अनुष्ठान किया और ऐसे सृजनशील साहित्य-सेवियों का निर्माण किया जिनका गौरव हिंदी के लिए श्रीवर्द्धक है| -सुधाकर पांडेय


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