Jansanchar: Kal, Aaj Aur Kal (जनसंचार: कल, आज और कल)

By C. K. Sardana (सी. के. सरदाना), K. S. Mehta (के. एस. मेहता)

Jansanchar: Kal, Aaj Aur Kal (जनसंचार: कल, आज और कल)

By C. K. Sardana (सी. के. सरदाना), K. S. Mehta (के. एस. मेहता)

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Specifications

Genre

Other

Print Length

232 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2009

ISBN

8188139521

Weight

350 Gram

Description

जनसंचार के पाठ्यक्रम पत्रकारिता एवं जनसंचार के पाठ्यक्रम के अंतर्गत स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर तक पढ़ाए जाते हैं| ऐसे भी विश्‍वविद्यालय एवं संस्थान हैं, जहाँ जनसंचार पर ही पाठ्यक्रम हैं| जनसंचार के अध्ययनशील विद्यार्थियों एवं कर्मियों के लिए अंग्रेजी भाषा में कई पुस्तकें उपलब्ध हैं; लेकिन अधिकांश पुस्तकें विदेशी लेखकों द्वारा लिखी गई हैं| उनमें उनके देश, समाज और कालखंड का विवरण होने से वे भारतीय परिस्थितियों में अपनी सार्थकता सिद्ध नहीं कर पातीं| भारतीय लेखकों का रुझान इस ओर कम होने से हिंदी में जनसंचार विषय पर पुस्तकों का बहुत अभाव है| इसलिए इस पुस्तक का इस संदर्भ में महत्त्व बढ़ जाता है| इसे सहज-सरल भाषा में लिखा गया है, ताकि विद्यार्थी एवं जनसंचार कर्मी पढ़ते ही इसे आत्मसात् कर सकें| इस पुस्तक की दूसरी विशेषता यह है कि इस विषय के पाठ्यक्रमों को ध्यान में रखते हुए इसमें जनसंचार के हर पहलू का विश्‍लेषण गहराई के साथ किया गया है| हिंदी भाषा में जनसंचार का अध्ययन करनेवालों के लिए यह पुस्तक अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी|


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