Swami Sahajananda Saraswati: Jyoti Kalash (स्वामी सहजानंद सरस्वती: ज्योति कलश)

By Dinkar Dutt Sharma (दिनकर दत्त शर्मा), Dinesh Dutt Sharma (डॉ. दिनेश दत्त शर्मा)

Swami Sahajananda Saraswati: Jyoti Kalash (स्वामी सहजानंद सरस्वती: ज्योति कलश)

By Dinkar Dutt Sharma (दिनकर दत्त शर्मा), Dinesh Dutt Sharma (डॉ. दिनेश दत्त शर्मा)

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Specifications

Print Length

239 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2014

ISBN

9789350486009

Weight

400 Gram

Description

आज स्वामी सहजानंद सरस्वती की 125वीं ऐतिहासिक वर्षगाँठ के समय ‘स्वामी सहजानंद ज्योति कलश’ का तृतीय परिवर्द्धित एवं परिष्कृत संस्करण की आवश्यकता मैंने महसूस की है| राष्‍ट्रपिता महात्मा गांधी ने आजादी के समय विकसित और खूबसूरत गाँव की कल्पना की थी और स्वामी सहजानंद सरस्वती की भी यही कल्पना थी कि गाँव का किसान-मजदूर आर्थिक रूप से मजबूत हो, उनकी मेहनत का सही आकलन हो और उनकी कड़ी मेहनत के बल पर उपजी फसल का सही मूल्यांकन हो| भारत सरकार और बिहार सरकार का भी आज फोकस कृषि पर है और दर्जनों योजनाएँ भी किसानों के हित में चलाई जा रही हैं, लेकिन उसका पूरा-पूरा लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है| आज स्वामी सहजानंद सरस्वती की सोच और विचार की प्रासंगिकता बढ़ी है| ऐसी स्थिति में मैंने महसूस किया कि स्वामीजी के विभिन्न विचारों के पहलुओं पर गहराई से समीक्षा कर ‘स्वामी सहजानंद ज्योति कलश’ का तृतीय संस्करण निकाला जाए| इस कड़ी में मेरी भावना का सम्मान विद्वान् साथियों ने किया और उसी कारण आज स्वामी सहजानंद सरस्वती की 125वीं वर्षगाँठ के अवसर पर ज्योति कलश का प्रथम भाग प्रस्तुत है| आज स्वामी सहजानंद सरस्वती की 125वीं ऐतिहासिक वर्षगाँठ के समय ‘स्वामी सहजानंद ज्योति कलश’ का तृतीय परिवर्द्धित एवं परिष्कृत संस्करण की आवश्यकता मैंने महसूस की है| रष्‍ट्रपिता महात्मा गांधी ने आजादी के समय विकसित और खूबसूरत गाँव की कल्पना की थी और स्वामी सहजानंद सरस्वती की भी यही कल्पना थी कि गाँव का किसान-मजदूर आर्थिक रूप से मजबूत हो, उनकी मेहनत का सही आकलन हो और उनकी कड़ी मेहनत के बल पर उपजी फसल का सही मूल्यांकन हो| भारत सरकार और बिहार सरकार का भी आज फोकस कृषि पर है और दर्जनों योजनाएँ भी किसानों के हित में चलाई जा रही हैं, लेकिन उसका पूरा-पूरा लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है| आज स्वामी सहजानंद सरस्वती की सोच और विचार की प्रासंगिकता बढ़ी है| ऐसी स्थिति में मैंने महसूस किया कि स्वामीजी के विभिन्न विचारों के पहलुओं पर गहराई से समीक्षा कर ‘स्वामी सहजानंद ज्योति कलश’ का तृतीय संस्करण निकाला जाए| इस कड़ी में मेरी भावना का सम्मान विद्वान् साथियों ने किया और उसी कारण आज स्वामी सहजानंद सरस्वती की 125वीं वर्षगाँठ के अवसर पर ज्योति कलश का प्रथम भाग प्रस्तुत है| -डॉ. महाचंद्र प्रसाद सिंह संस्थापक अध्यक्ष सदस्य बिहार विधान परिषद्


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