Nyaya Vyavastha Par Vyangya (न्याय व्यवस्था पर व्यंग)

By Giriraj Sharan (गिरिराज शरण)

Nyaya Vyavastha Par Vyangya (न्याय व्यवस्था पर व्यंग)

By Giriraj Sharan (गिरिराज शरण)

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Specifications

Print Length

129 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2018

ISBN

8173151504

Weight

260 Gram

Description

हमारे एक परममित्र हुए हैं घसीटासिंह ' मुकदमेबाज ' | कई मामलों में बड़े ही विचित्र स्वभाव के आदमी थे | हमें जब यह विचार आया कि न्यायालयों के बारे में जानकारी प्राप्‍त करने के लिए कुछ अनुभवी लोगों से संपर्क करें तो याद आए श्री घसीटासिंह जी! क्योंकि उनके जीवन की एकमात्र ' हॉबी ' ही मुकदमेबाजी रही थी | आप मानें या न मानें, जितनी भी हाबियाँ हैं, उनमें सबसे रोचक अगर कोई है तो मुकदमेबाजी है | बस, शर्त यह है कि आपको मुकदमा लड़ना और दाँव- पेच से काम लेना आता हो | एक दिन हमारे भूतपूर्व मित्र घसीटासिंह ' मुकदमेबाज ' ने यह कहकर हमें चौंका दिया था कि अदालत में असली मुकदमों की मात्रा, ईश्‍वर झूठ न बुलवाए, तो बस इतनी ही होती है, जितनी प्राचीन युग से लेकर अब तक उड़द पर सफेदी या वर्तमान में पानी मे दूध की मात्रा | घसीटासिह ' मुकदमेबाज ' का कहना था कि अदालत में चलने वाले ज्यादातर मुकदमे फर्जी होते हैं, जिनसे या तो मुकदमेबाजों की हॉबी गरी होती है या जो अपने विरोधियों को परेशान करने के लिए ठोक दिए जाते हैं | गवाहों के अलावा मुकदमेबाजों को कई और चीजें भी खरीदनी होती हैं; जैसे वकील, चपरासी, पेशकार आदि- आदि | खेद यह है कि जब कोई अनुभवहीन व्यक्‍त‌ि कोर्ट या अदालत की कल्पना करता है तो उसके ध्यान में केवल जज या मुंसिफ मजिस्ट्रेट का ही चेहरा उभरता है, जबकि अदालत केवल इसी एक महापुरुष का नाम नहीं है | न्यायालयों की व्यवस्था पर अपनी पैनी नजर डालनेवाले व्यंग्यकारों के ये व्यंग्य आपको हँसाएँगे भी और व्यंग्य स्‍थलों पर सताएँगे भी |


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