Punashcha (पुनश्च:)

By L. M. Singhvi (एल. एम. सिंघवी)

Punashcha (पुनश्च:)

By L. M. Singhvi (एल. एम. सिंघवी)

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Specifications

Print Length

160 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2015

ISBN

9788173156724

Weight

270 Gram

Description

साहित्य अमृत ' में प्रकाशित डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी के संपादकीय लेखों की अनन्यता, वैचारिक गहराई, ज्ञान का अपार विस्तार विश्‍लेषण की बारीकी और तटस्थ दृष्‍ट‌ि से अजस्र विषयों का विवेचन उनके भारत मन से हमारा परिचय कराता है | एक ओर विद्यानिवास मिश्र, अमृता प्रीतम, विष्णुकांत शास्त्री, के.आर नारायणन आदि के स्मृति चित्र हैं तो दूसरी ओर प्रेमचंद, माखनलाल चतुर्वेदी, महादेवी वर्मा, हजारी प्रसाद द्विवेदी आदि हिंदी के मूर्धन्य रचनाकारों का संक्षिप्‍त मगर बहुत ही सार्थक चित्रांकण है | डॉ. सिंघवी के इन संपादकीय लेखों में हमारी विरासत की अवहेलना की चिंता है; विश्‍व साहित्य की कल्पना है; भाषा, साहित्य, संस्कृति, सभ्यता को हमारी अस्मिता की पहचान के रूप में स्वीकृति है और अमर्त्य सेन के हवाले से भारतीयता के विस्तृत विमर्श की स्वाधीन अभिव्यक्‍त‌ि है; मूल्यों के मूल्य को समझने की कोशिश है; हिंदी की संस्कृति का अभिज्ञान है; सगुण भक्‍त‌ि के व्याज से रति-विलास की आध्यात्मिकता का कथन है और आजादी के साठ वर्षो की हमारी साझी एकता के सपने की सस्पंदना का उल्लेख है | इन संपादकीयों में ज्ञान की विद्युत् छटा हमें चकाचौंध करती है और साथ ही एक स्थितप्रज्ञ के भारत-विषयक अद‍्भुत वैचारिक वैविध्यवाद की गहराई में जाने का निमंत्रण हमें अभिभूत करता है | पुनश्‍च पुन: -पुन: पढ़ने योग्य डी. सिंघवी के संपादकीय लेखों का एक ऐसा संकलन है, जो ज्ञान के क्षितिज की अपरिसीम विस्तृति से हमें जोड़ता है | -इंद्र नाथ चौधुरी


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