Gandhi Ke Sapnon Ka Bharat (गांधी के सपनों का भारत)

By Mahesh Prasad Singh (महेश प्रसाद सिंह)

Gandhi Ke Sapnon Ka Bharat (गांधी के सपनों का भारत)

By Mahesh Prasad Singh (महेश प्रसाद सिंह)

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Specifications

Print Length

192 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2010

ISBN

9788190734158

Weight

340 Gram

Description

राष्‍ट्रीय संदर्भ में तो आज गांधी की शिक्षाओं तथा प्रयोगों की जरूरत काफी बढ़ गई है| खेद की बात यह है कि जिस देश के महान‍् मनीषी ने विश्‍व को अनेक उच्‍च विचार दिए, विश्‍‍व मानवता को संकटों से मुक्‍ति का मार्ग बताया, उसी के महान् भारत में स्वाभिमान, राष्‍ट्रीयता, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्‍ठा, सहनशीलता आदि गुणों का ह्रास हो रहा है और देश के चारों तरफ समस्याओं के काले बादल छाने लगे हैं| हमें आज की परिस्थितियों में यह देखकर निश्‍चित रूप से प्रसन्नता हुई है कि देश और विदेश सभी जगह लोगों ने कुछ हद तक गांधी के रास्ते पर चलना शुरू कर दिया है और वह दिन अब अधिक दूर नहीं जब दुनिया का हर व्यक्‍ति गांधीवादी पद्धति का अवलंबन शुरू कर दे| ऐसा होगा, तभी मानवता को जीवित रखा जा सकता है| अमेरिका, इंग्लैंड, पश्‍चिम जर्मनी, जापान और अन्य दूसरे विकसित देशों के लोग आज गांधी द्वारा बताए गए अहिंसात्मक प्रतिरोध के द्वारा अपनी- अपनी सरकारों पर दवाब डाल रहे हैं कि वे मानवता का संहार करनेवाले हथियारों पर प्रतिबंध संबंधी बातचीत में तेजी लाएँ| महात्मा गांधी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक कार्यों में अंतर करने को तैयार नहीं थे| वे मानते थे कि मनुष्य के सभी कार्य एवं समस्याएँ मूल रूप में नैतिक हैं, अत: उनका समाधान भी नैतिक उपायों से ही संभव है| गांधी के सपनों का भारत में विद्वान् लेखक ने गांधीजी के सिद्धांतों और जीवन-मूल्यों के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया है कि हम सब अगर गांधीजी के बताए रास्ते पर चलें तो एक सशक्‍त, लोककल्याणकारी और गांधीजी के सपनों के भारत का निर्माण कर सकते हैं| आओ, हम सब भारतवासी इस पुनीत कार्य में भागीदार बनें |


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