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Specifications

Print Length

144 pages

Language

Hindi

Publisher

Rajpal and sons

Publication date

1 January 2024

ISBN

9789389373967

Weight

224 Gram

Description

“ ‘वन्या’ जंगल से गुज़रने वाली नदियों को कहते हैं। इन नदियों का बहाव उन्मुक्त होता है। चाहे कितनी भी बाधाएँ हों, ये सुप्त होकर फिर जागती हैं और बहती हैं। इस कथा-संकलन की कहानियाँ वन्या जैसी आदिवासी स्त्रियों की हैं। ये आदिवासी अस्मिताओं की कथाएँ किसी रूढ़ अर्थ में आदिवासी विमर्श की कथाएँ नहीं हैं, पर एक झरोखा हैं जो आपको अवसर देती हैं - इनके वाङ्मय में झाँकने का। इन्हें लिखते हुए मुझे अनुभव हुआ कि आदिवासी जीवन की कथाओं को आप यूँ ही नहीं कह सकते। इसके लिए वह आदिम मुहावरा, सरल भाषाई गीतात्मकता, सजीव-मौलिक दृश्यात्मकता, थिरकन, पुरखों से मिला कहन, पेड़ों और पशुओं से सखा-भाव और जंगल के लिए वह चिन्ता लानी होगी।” - पुस्तक की भूमिका से ऐसी ही गम्भीर चिन्ता की झलक प्रतिष्ठित लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ की हर रचना में मिलती है - चाहे वह कहानी-संकलन, उपन्यास या फिर यात्रा-वृत्तान्त हो। मनीषा कुलश्रेष्ठ हिन्दी साहित्य में एक मुखर और महत्त्वपूर्ण स्वर हैं। अनेक विधाओं में लिखी इनकी अब तक सोलह पुस्तकें प्रकाशित हैं, जिनमें से 2019 में प्रकाशित ‘मल्लिका‘ को पाठकों ने हाथोंहाथ लिया है।


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