Gharaunda (घरौंदा)

By Manu Sharma (मनु शर्मा)

Gharaunda (घरौंदा)

By Manu Sharma (मनु शर्मा)

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Specifications

Print Length

262 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2013

ISBN

9788173156281

Weight

425 Gram

Description

मनु शर्मा के तीन उपन्यासों की कड़ी में यह पहला उपन्यास है| ‘घरौंदा’ का कालखंड लगभग 1930 से आरंभ होता है| कथा एक पाँच-छह वर्ष के बालक का पीछा करती है| इस उपन्यास में एक गरीब परिवार कड़कड़ाते जाड़े को कैसे भोगता है, टूटी चारपाई और फटी गुदड़ी केनीचे पड़े एक खाँसते-कूँखते व्यक्ति का उसके इकलौते बालक पर क्या प्रभाव पड़ता है, दिल को छूनेवाला इसका वृत्तांत उपन्यास में है| घरौंदे बनाने और मिटाने वाले बालक जग्गू को क्या मालूम कि उसके सामने एक घरौंदा टूट रहा है| जग्गू इस उपन्यास का नायक है, जो आगे चलकर काल की ठोकरें खाता हुआ ‘जयनाथ’ बन जाता है| वह जीवन के अनेक परिवर्तनों के साथ समाज के बदलते परिवेश का भी साक्षी बनता है-आजाद भारत का सपना, अंग्रेजों का अत्याचारी कुशासन और सांप्रदायिक दंगे| जग्गू के शैशव का प्रतीक यह ‘घरौंदा’ बाल सुलभ जिज्ञासाओं, कुतूहल और एक माँ के लाचारी मन को गहरे तक उद्वेलित करता है| तो क्या यह ऐतिहासिक उपन्यास है? नहीं| ऐतिहासिक उपन्यास में घटनाएँ और चरित्रों के केवल नाम सच होते हैं, बाकि सब काल्पनिक| उसमें कल्पना से परिवेष्ठित सच होता है, इसमें सत्य से परिवेष्ठित कल्पना| तो यह ग्रंथ इतिहास भी है और उपन्यास भी| काव्य के विविध उपाख्यानों के साथ आधी शताब्दी का महाख्यान है-‘घरौंदा’|


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