Baba Ki Dharti (बाबा की धरती)

By Narottam Pandey (नरोत्तम पांडेय)

Baba Ki Dharti (बाबा की धरती)

By Narottam Pandey (नरोत्तम पांडेय)

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Specifications

Print Length

255 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2008

ISBN

8188140414

Weight

330 Gram

Description

“यही तुम्हारी भूल है, कुमार बाबू| वे राजा नहीं थे| वे तो कंपनी के बिचौलिए थे| खुद अच्छी चीजें कंपनी के आला अफसरों को देकर उनसे कृपा खरीदते थे|” “राज तो ब्रिटिश का था, कंपनी तो खत्म हो गई थी|” कुमार ने कहा| “राज चाहे किसी का हुआ, स्थिति तो वही थी| कंपनी के हट जाने से उसके संस्कार, अमले-फैले तो वही थे| कंपनी के दिनों में जिन्होंने लूटा, राज के दिनों में भी वे कैसे स्वाद छोड़ देते? दाँत जो एक बार निकल जाता है, भीतर थोड़े ही जाता है!” आज कई दिनों के बाद कुमार पुन: बैंक आया है| आते ही एक मुँहफट् किरानी से भेंट हुई| उसने कहा, “कुमार बाबू, इस तरह आप ऑफिस में जूते क्यों घिसा रहे हैं? ऑफिस की जमीन खाल (नीची) हो जाएगी, आपका काम नहीं होगा| आपको काम कराना हो तो माल खरचिए, माल| हम लोग न तो देकर पढ़े हैं और न भूसा देकर बहाल हुए हैं| हर एक की बहाली में दस से पंद्रह हजार रुपए लगे हैं| आपका पचास हजार का दरखास्त है, पाँच हजार सीधे जमा कर दीजिए| एक सप्ताह में काम हो जाएगा|” -इसी उपन्यास से ‘बाबा की धरती’ एक आंचलिक उपन्यास है, जिसकी पृष्ठभूमि है भोजपुर का गांगेय अंचल| इसमें ग्रामांचल की सामाजिक व्यवस्था, रहन-सहन, कार्यकलाप, उनके जीवन-मूल्य तथा स्थानीय स्तर से लेकर ऊपर तक चलने वाली राजनीतिक उठा-पटक का बड़ा ही सूक्ष्म एवं मार्मिक वर्णन है| सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग, ब्लॉक स्तर पर भी भष्टाचार तथा गाँवों की आपसी गुटबाजी के साथ-साथ वर्तमान में समाज में आ रहे बदलाव एवं बदलते दृष्टिकोण का बेबाक वर्णन इस उपन्यास में है| अत्यंत रोचक, मनोरंजक एवं जानकारीपरक उपन्यास|


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