Mayamrig (मायामृग)

By Neelima Singh (नीलिमा सिंह)

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By Neelima Singh (नीलिमा सिंह)

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Specifications

Print Length

136 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2013

ISBN

9789350485446

Weight

280 Gram

Description

कहानियाँ दो तरह की होती हैं| एक तो मन से निकलकर कागज पर अपना आकार ग्रहण करती हैं; जैसे पहाड़ के उद्गम से जो जलस्रोत निकलता है, वह अपना रास्ता स्वयं बनाता हुआ आगे बढ़ता जाता है, उस झरने की पहले से कोई निश्चित राह नहीं होती-उसी तरह मन के अंत:करण से जो कहानियाँ निकलती हैं, वे अपना आकार स्वयं गढ़ती हैं| अगर हम उसमें कुछ छेड़छाड़ करने की कोशिश करते हैं तो कथ्य तो रह जाता है, भाव लुप्त हो जाता है| दूसरे प्रकार की कहानी बुद्धि से प्रेरित होकर लिखी जाती हैं, जहाँ शिल्प, भाषा और वस्तु-विधान के साँचे में उसे ढाला जाता है| यह सही है, वैसी कहानी टेक्नीक और क्राफ्ट के मामले में उत्तम कोटि की होती है; लेकिन संवेदना के स्तर पर वह मन को छू नहीं पाती| वह हमारे मस्तिष्क में प्रश्नचिह्न खड़ा करती है, जिस विषय पर भी लिखा गया हो, उस पर चर्चा-परिचर्चा करने को बाध्य करती है| अंतर बस इतना ही है कि मन से या आत्मा से निकली कहानी मन को छूती है, बुद्धि से लिखी कहानी बौद्धिक स्तर पर छूती है| ‘मायामृग’ प्रतीक है जीवन के उन सुनहरे सपनों का, जिनके पीछे हम पूरी उम्र अनवरत भागते रहते हैं| लेकिन सत्य तो यही है न कि सुनहरा मृग होता ही नहीं! जिसने भी मायामृग को पाना चाहा, उसे दु:ख और दर्द के सिवा कुछ नहीं मिला| लेकिन लोग भी कहाँ जान पाते हैं कि जिस प्रेम और विश्वास की तलाश में हम भटक रहे हैं, वह कहीं है ही नहीं? कुछ ऐसा ही बोध कराती हैं इस संग्रह की रोचक एवं पठनीयता से भरपूर मर्मस्पर्शी कहानियाँ|


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