Kabeer Dohawali (कबीर दोहावली)

By Nilotpal (नीलोत्पल)

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Specifications

Print Length

159 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2019

ISBN

9789381063132

Weight

330 Gram

Description

सामान्य तरीके से जन्म लेकर और एक अति सामान्य परिवार में पलकर कैसे महानता के शीर्ष को छुआ जा सकता है, यह महात्मा कबीर के आचार, व्यवहार, व्यक्‍त‌ि‍त्व और कृतित्व से सीखा जा सकता है| कबीर ने कोई पंथ नहीं चलाया, कोई मार्ग नहीं बनाया; बस लोगों से इतना कहा कि वे अपने विवेक से अपने अंतर्मन में झाँकें| कबीर मूर्ति या पत्‍थर को पूजने की अपेक्षा अंतर में बसे प्रभु की भक्‍त‌ि करने पर बल देते थे| 14वीं सदी में कबीर दलितों के सबसे बड़े मसीहा बनकर उभरे और उच्च वर्गों के शोषण के विरद्ध उन्हें जागरूक करते रहे| वह निरंतर घूम-घूमकर जन-जागरण चलाते और लोगों में जागृति पैदा करते थे| ‘रमैनी’,‘सबद’ और ‘साखी’ में उन्होंने अंधविश्‍वास, वेदांत तत्त्व, धार्मिक पाखंड, मिथ्याचार, संसार की क्षणभंगुरता, हृदय की शुद्धि, माया, छुआछूत आदि अनेक प्रसंगों पर बड़ी मार्मिक उक्‍त‌ियाँ कही हैं| महात्मा कबीर अपनी कालजयी रचनाओं के कारण युगों-युगों तक हमारे बीच उपस्‍थ‌ित रहेंगे| उनकी वाणी का अनुसरण करके हम अपना वर्तमान ही नहीं, भविष्य भी सँवार सकते हैं|कबीर आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस काल में थे| प्रस्तुत पुस्तक में, वर्तमान प्रासंगिकता को ध्यान में रखकर ही, संत कबीर की जीवनी और काव्य-रचना के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत किया गया है, जिससे कि पाठकों को कबीर को समझने और उनके दरशाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिल सके|


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