Gaon Ki Ore (गाँव की ओर)

By Pratibha Ray (प्रतिभा राय)

Gaon Ki Ore (गाँव की ओर)

By Pratibha Ray (प्रतिभा राय)

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Specifications

Print Length

160 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2014

ISBN

9789382898498

Weight

330 Gram

Description

गाँव में पहुँचते ही चइतन ने निस्संकोच होकर चंपी के न लौटने की खबर का ऐलान किया| बुढ़ापे में उम्र ढल चुकी पत्नी के लिए कौन मरा जा रहा है! पैंतालीस साल बिना पत्नी के गुजारे| अब जिंदगी के कितने दिन बचे हैं! चइतन के लिए रात का खाना पड़ोस में रहनेवाली मुँह बोली नानी के यहाँ से आ गया| खाने के बाद चइतन ने कहा, ‘अब कल से मेरे लिए खाना न भेजना| पेट के लिए मैं क्यों दूसरों पर निर्भर करूँ? अब तक तो अपना गुजारा खुद ही करता रहा हूँ?’ गाँववालों को लगा कि कल सवेरे ही चइतन किसी को बिना बताए गाँव छोड़कर चला जाएगा| चंपी के जिंदा रहने की आशा से वह इतने सालों बाद गाँव लौटा था| चंपी ने उसे जितना निराश किया है, उसके बाद चइतन के लिए अब गाँव में क्या रखा है| बेचारा चइतन अब इस बुढ़ापे में भी दर-दर भटकता है| एक दिन सड़क पर ऐसे ही बेसहारा मरा हुआ मिलेगा| -इसी पुस्तक से कहानीकार तभी आदृत होता है, जब विविध सामाजिक, राजनीतिक, मनोवैज्ञानिक समस्याओं पर उसकी पैनी दृष्टि रहती है और वह उन सबको अपनी कहानियों में उतारकर समाज को एक नई दिशा देने में सक्षम होता है| ऐेसी ही एक कथाकार हैं-डॉ. प्रतिभा राय| समाज में व्याप्त अनेक समस्याओं को उन्होंने अपनी कहानियों में इस प्रकार उठाया है कि लगता है, लेखिका स्वयं इन सबसे जूझ रही हो| अत्यंत रोचक एवं मर्मस्पर्शी कहानियों का पठनीय संकलन|


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