Din Jo Pakheroo Hote (दिन जो पखेरू होते)

By Rajendra Rao (राजेंद्र राव)

Din Jo Pakheroo Hote (दिन जो पखेरू होते)

By Rajendra Rao (राजेंद्र राव)

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Specifications

Print Length

192 pages

Language

Hindi

Publisher

Rajpal and sons

Publication date

1 January 2022

ISBN

9789389373189

Weight

272 Gram

Description

यह उस समय की बात है जब देश आज़ाद हुआ ही था। जहाँ एक ओर देश के सामने प्रगतिशील और उन्नत राष्ट्र की परिकल्पना थी तो दूसरी ओर गुट निरपेक्ष राष्ट्र समूह के गठन के द्वारा एक युद्धविहीन दुनिया का सपना भी देखा जा रहा था। आत्मनिर्भरता के लिए अनिवार्य था कि मौलिक ज़रूरतों के लिए देश में ही उत्पादन हो। इसके अंतर्गत बड़े-बड़े कारखाने और उद्योग स्थापित किये जा रहे थे। लेकिन साथ ही पंचशील के सिद्धांत भी दुनिया के सामने रखे जा रहे थे। इसी सोच से सुरक्षा के लिए आयुध कारखानों की एक सुदृढ़ श्रृंखला स्थापित की जा रही थी। एक ऐसा कारखाना राजधानी के पास एक कस्बाई माहौल में स्थापित किया गया। दकियानूसी और रूढ़िवादी परिवेश का यह कस्बा बहुत तेज़ी से एक कारखाने की टाउनशिप में बदल रहा था जिसके कारण समाज में विरोधी विचारों का टकराव होने लगा। पचास और साठ के दशक में स्थापित इन सरकारी आयुध कारखानों का सरकार तेज़ी से निजीकरण करने के बहाने बड़े औद्योगिक घरानों को सौंप रही है जिससे माहौल गरमाया हुआ है। 9 जुलाई, 1944 को कोटा (राजस्थान) में जन्मे मैकेनिकल इंजीनियर राजेन्द्र राव विशिष्ट गैर सरकारी और सरकारी संस्थानों में तकनीकी और प्रबंधन के प्रशिक्षण में कार्यरत रहते हुए भी लेखन और पत्रकारिता से जुड़े रहे। अभी तक इनके बारह कथा संकलन, दो उपन्यास, जिसमें कोयला भई न राख विशेष लोकप्रिय है, प्रकाशित हो चुके हैं। संप्रति: दैनिक जागरण में साहित्य संपादक।


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