Jahar Peer (जहर पीर)

By Ram Singh (राम सिंह)

Jahar Peer (जहर पीर)

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Specifications

Print Length

127 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2013

ISBN

8188140821

Weight

275 Gram

Description

भारतवर्ष सर्वथा देव-देवियों, पीर-फकीरों, संत-महात्माओं का देश रहा है| अलौकिक गुणों से संपन्न ऐसे ही एक संत हुए हैं-‘जाहरपीर’| प्रस्तुत उपन्यास में उस धर्मरक्षक, जनरक्षक, शौर्यपुरुष की जीवन-गाथा का बड़ा रोमांचक और विस्मयकारी वर्णन है| जाहरपीर अपने जीवन-काल में प्रतिष्ठा की बुलंदियों को छू चुके थे| उनके जीवन की घटनाएँ बड़ी मार्मिक एवं मन को छूनेवाली हैं| उनका व्यक्तित्व दिव्य, पौरुष का पुंज, सद्गुण, साहस और गरिमा से संपन्न था| उनकी चामत्कारिक शक्तियाँ धर्म-रक्षार्थ एवं लोकमंगल की कामना से संपृक्त थीं| जाहरपीर श्रद्धा और भक्ति के पात्र हैं| वे ब्रजभूमि और मरुभूमि के कीर्ति-कलश थे| गुजरात की मृदुल भूमि और हिमाचल की सर्द हवाओं में आज भी उनकी गाथाएँ कोटि-कोटि स्वरों में गूँज रही हैं| जाहरपीर महामानव थे| उनके हृदय में समस्त प्राणियों के लिए प्रेम था, इसीलिए वे औलिया, संत और पीर कहे गए हैं| वे गुरु गोरखनाथ के शिष्य थे और शे मुईनुद्दीन चिश्ती के मुरीद| बाद में स्वयं आध्यात्मक गुरु बन गए और ‘पीर’ की संज्ञा से विभूषित हुए| प्रस्तुत उपन्यास का उद्देश्य है-अपने पूर्वजों की स्मृति को जीवंत बनाए रना, निराशा के अंधकार में आशा का दीप जलाना एवं सोए हुए लोगों को जगाना, जिससे वह धमर्निरपेक्षता, सामाजिक समरसता, एकता और देश की अखंडता को बनाए रने के लिए सचेष्ट रहें| आशा है, सुधी पाठक इस उपन्यास को भरपूर सम्मान देंगे|


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