Do Naina Mat Khaeyo Kaga (दो नैना मत खाइयो कागा)

By Rashmi Kumar (रश्मि कुमार)

Do Naina Mat Khaeyo Kaga (दो नैना मत खाइयो कागा)

By Rashmi Kumar (रश्मि कुमार)

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Specifications

Print Length

152 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2019

ISBN

9788177211849

Weight

315 Gram

Description

“मतलब यह कि यह त्रेता युग नहीं है, कलयुग है| ऊपर से घोर कलयुग यह कि मैं पुत्री की माँ हूँ| सीता की तरह सिर्फ पुत्रों को जन्म नहीं दिया| सो अगर मेरे कहने से धरती फट भी जाए तो आज की स्‍‍त्री धरती में कैसे समा सकती है, वह भी तब, जब पुत्री को जन्म दिया हो और रावण घर और बाहर दोनों जगह अपने दस शीश नहीं तो दस रूप में मौजूद हो?” “हाँ, एक जरूरी काम, ऊपर जाकर अपने बेटे को आप मेरी तरफ से दो थप्पड़ मारिएगा और कहिएगा, उसने ऐसा क्यों किया? मेरे तीन महीने के विवाह का नहीं तो आपके तीस साल के संबंध का तो मान रखा होता| जो अच्छा बेटा नहीं बन सका, वह अच्छा पति क्या खाकर बनता|” “हाँ, दीदी, गरज संबंध की गरिमा समाप्‍त कर देता है| फिर चाहे वह पिता से हो या अपनी संतान से|” “दान दीजिए न, पर इन भिखमंगों को कभी नहीं, उन्हें दे दीजिए|” खिड़की से बाहर हाथ से इशारा करते हुए वह बोल उठा| कलावती ने खिड़की से बाहर नजर दौड़ाई, दो-चार कुत्ते लावारिस से घूम रहे थे| “कम-से-कम आपका अन्न खाएँगे तो आप पर भौकेंगे तो नहीं|” -इसी संग्रह से मानवीय संवेदना, मर्म और भावनाओं को छूनेवाली रचनाओं के सृजन के लिए विख्यात रश्मि कुमार का नया कथा-संकलन| नारी की अस्मिता और उसके सम्मान को बढ़ानेवाली कहानियाँ, जो आज के समाज की विद्रूपताओं को आईना दिखाती हैं|


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