Ganeshshankar Vidyarthi: Part 1, 2 (युगपुरुष गणेशशंकर विद्यार्थी: भाग १, २)

By Sri Tilak (श्री तिलक)

Ganeshshankar Vidyarthi: Part 1, 2 (युगपुरुष गणेशशंकर विद्यार्थी: भाग १, २)

By Sri Tilak (श्री तिलक)

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Specifications

Print Length

1080 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2013

ISBN

9789350482711

Weight

1613 Gram

Description

दुबले-पतले शरीर में कैद एक बहुत बड़ी हस्ती, पद की लालसा से मुक्‍त, पैसे के प्रलोभन से परे और प्रतिष्‍ठा की प्यास से कहीं ऊपर; लेखक, पत्रकार, राजनीतिज्ञ, शिक्षक, वक्‍ता, संगठनकर्ता, एक छटपटाती आत्मा, न्याय के लिए संघर्ष में सुख अनुभव करनेवाले; एक समर्पित जीवन, जो आदर्श के लिए जिया और आदर्श की वेदी पर कुरबान हो गया| गणेशशंकर विद्यार्थी एक बहुमुखी व्यक्‍तित्व, जिसका काम था देशवासियों को जगाना, शिक्षित करना, लामबंद करना, आजादी की लड़ाई में उन्हें आगे बढ़ाना, प्रोत्साहित करना और ललकारना| संघर्ष उसका पेशा था और जन-साधारण उसका हथियार| अपने आदर्श की प्राप्‍ति में उन्होंने कभी कठमुल्लापन नहीं बरता| उनका दरवाजा अहिंसावादियों और क्रांतिकारियों दोनों के लिए समान रूप से अंत तक खुला रहा| गुलामी, अन्याय, असमानता, शोषण, छुआछूत, सामंती अत्याचार आदि के खिलाफ संघर्ष में ईमानदारी के साथ जूझनेवाला हर सिपाही उनका अपना था, भले ही उसके द्वारा अपनाये गए संघर्ष के तौर-तरीके उनसे मेल न खाते हों| बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न विद्यार्थीजी के व्यक्‍तत्वि के बहुत से रूप थे और हर रूप हर छवि दूसरी से बढ़कर थी-आकर्षक और लुभावनी| अपने जीवन में अपनी ही कलम से अपने अलग-अलग रूपों को समय-समय पर उन्होंने पाठकोंके सामने जिस शक्ल में प्रस्तुत किया था, उनको बटोरकर उस चयन से जो कुछ बन पाया, वह पुस्तक प्रस्तुत है|


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