Suraj Ugane Se Pahale (सूरज उगने से पहले)

By Suresh Kantak (सुरेश कंटक)

Suraj Ugane Se Pahale (सूरज उगने से पहले)

By Suresh Kantak (सुरेश कंटक)

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Specifications

Print Length

140 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2011

ISBN

9789350480038

Weight

300 Gram

Description

कलह-द्वेष, घृणा-ईर्ष्या सबके सब पैठ जाते हैं मन की नाकबंदी करने के लिए| प्रेम और प्रीत का निर्वासन हो जाता है सदा-सदा के लिए| रोती फिरती है सद्भावना जंगल-जंगल| पल भर टिकने को ठौर नहीं मिलता उसे| यही सब ओछापन मुझे नहीं भाता| इनका स्पर्श भी मेरे लिए प्राणघातक है पिताजी, तब मैं अंधा हो जाऊँगा| कद बौना हो जाएगा| लिलिपुटियन बनकर रह जाऊँगा मैं| मेरे अंदर, जहाँ मेरा कोमल, सरल और सरस हृदय है, वहाँ कोई पत्थर का टुकड़ा जुड़ जाएगा| मैं आपको भी भूल जाऊँगा| माँ को भूल जाऊँगा| भाई-बहनों को भूल जाऊँगा| सारी दुनिया को भूल जाऊँगा| अपने प्यारे किसानों और मेहनती साथियों को भी याद नहीं रख पाऊँगा| मेरे अंदर कोई राक्षस, कोई दैत्य बड़े-बड़े दाँतों और बीभत्स चेहरा लिये समा जाएगा| किसी से बेईमानी और किसी से लड़ाई करूँगा| न्याय का गला घोंट अन्याय को गले लगाऊँगा| फिर अपनी ही तरह के लोगों की आबादी बढ़ाऊँगा| पूरी दुनिया का हक हड़पने की योजना बनाऊँगा और इसके बाद... -इसी संग्रह से सुरेश कांटक ऐसी कहानियाँ नहीं लिखते, जो अपने पाठकों को या तो रुला देती हैं या फिर सुला देती हैं| उनकी कहानियाँ पाठकों को जगाती और बेचैन करती हैं| ये कहानियाँ हमारी कल्पना, संवेदनशीलता और सोच को गतिशील बनाकर नैतिक दायित्व का बोध कराती हैं| बिना किसी तरह की कलाबाजी के ये कहानियाँ सहज लेकिन धारदार भाषा में गाँव की जिंदगी की हर तरह की स्थितियों और अनुभूतियों को मूर्त और सजीव रूप में हमारे सामने लाती हैं| मानवीय संवेदना और सामाजिक सरोकारों को दरशाती मर्मस्पर्शी कहानियाँ|


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