Saat Bahanon Ki Lokgathayen (सात बहनों की लोकगाथाएँ)

By Swaran Anil (स्वर्ण अनिल)

Saat Bahanon Ki Lokgathayen (सात बहनों की लोकगाथाएँ)

By Swaran Anil (स्वर्ण अनिल)

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Specifications

Print Length

192 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2015

ISBN

9789380183572

Weight

345 Gram

Description

भारतवर्ष के पूर्वोत्तर में ‘सात बहनों’ के नाम से विश्‍व में विख्यात यह अंचल न जाने कब से हमें अपने आकर्षण में बाँधता रहा है| इस संग्रह में अरुणाचल, आसाम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा की चर्चित लोककथाओं को संगृहीत किया गया है| इनमें जहाँ जल प्रलय-सृष्‍ट‌ि-विकास-प्रलय का क्रम दरशाया गया है वहीं वनस्पति-जगत् और जीव-जगत् से मानव के संबंध, देव-कन्या का मानव जाति को सुसंस्कृत बनाने के लिए धरती पर उतरना, मनुष्य को पेड़, पत्‍थर, पशु-पक्षी, सर्प आदि रूपों में बदलना भी इन कथाओं में है| कहीं रालनगाम की स्वर्ग की सीढ़ी और जोखिम भरी यात्राओं का रोमांच है तो कहीं सूर्य को कर्तव्य-बोध करवानेवाले ताफ्येओ की स्वामी-भक्‍त‌ि और सूर्यग्रहण का संबंध| कहीं लोंगकोगला का पालतू पशुओं और अपने पोते के प्रति वात्सल्‍य व प्रेम, सूर्य की बहन मुमसी का बीज रूप में पेड़-पौधों एवं पशु-पक्षियों को धरती पर लाना, नारा का जीवन-चरित्र आदि कथाओं के श्रापों और वरदानों की मान्यताओं भरे चमत्कार करते स्वरूप तो कहीं श्‍वानों का अंशदान, गोह का श्राप, जादुई पत्‍थर, कामाब्रांचा का न्याय और वैविध्यपूर्ण कथानक| युगों से चली आती लोककथाओं में हम किसी भी समजा की मिट्टी को सोंधी महक पा लेते हैं| पूर्वोत्तर यानी सात बहनों की ये लोककथाएँ अपने सांस्कृतिक वैविध्य से परिपूर्ण, इतिहास का लेखा जोखा प्रस्तुत करनेवाली हैं|


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