Kahe Ri Nalini (काहे री नलिनी)

By Usha Yadav (उषा यादव)

Kahe Ri Nalini (काहे री नलिनी)

By Usha Yadav (उषा यादव)

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Specifications

Print Length

276 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2012

ISBN

8177210955

Weight

325 Gram

Description

यों तो उम्र के किसी भी पड़ाव पर औरत सुरक्षित नहीं है, पर जब मासूम बचपन देह व्यवसाय के घिनौने सौदागरों के हाथ में पड़कर दम तोड़ता है, तो निस्संदेह समूचा परिदृश्य गंभीर चिंता का विषय बन जाता है| प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमती उषा यादव का मानना है कि देह शोषण की शिकार बच्चियों की व्यथा-कथा को बयान करना भी बड़ा कष्‍टप्रद है| लगता है, शाखा पर खिली किसी कली को नोचने का जो उपक्रम पहले एक बार ‘बाजार’ ने किया, उसी को दोबारा ‘कलम’ कर रही है| लेकिन अपने समय का सच बयान न करना भी तो लेखकीय दायित्वहीनता कहलाएगी| 'काहे री नलिनी' इसी संवेदना से जुड़ा उपन्यास है| बाजार के बीच बिकते बचपन के दर्द की टीस पाठक के अंतस को भी सिहराए बिना न रहेगी| दमघोंटू परिवेश में साँस लेती न जाने कितनी ‘नलनियों’ की मूक पीड़ा से यह उपन्यास परिचित कराएगा| प्रस्तुत उपन्यास में आज की ज्वलंत समस्या स्‍‍त्री देह-व्यापार बड़ा ही मार्मिक एवं जन-मन को उद्वेलित करनेवाला वर्णन है| निश्‍चय ही पाठक इस कृति के माध्यम से अनेक नई वास्तविकताओं से परिचित होंगे और देश में फैली इस सामाजिक बुराई को दूर करने की प्रेरणा प्राप्‍त करेंगे|


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