Mati Mere Desh Ki (माटी मेरे देश की)

By V. S. Naipaul (वी. एस. नायपॉल)

Mati Mere Desh Ki (माटी मेरे देश की)

By V. S. Naipaul (वी. एस. नायपॉल)

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Specifications

Print Length

235 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2009

ISBN

9788173155628

Weight

395 Gram

Description

सर वी.एस. नायपॉल का मनुष्य के संघर्ष, कामनाओं के स्कुटन, आदर्श की आकांक्षा, पहचान के संकट, अर्थ की तलाश और आदर्शवाद तथा व्यक्ति के वैशिष्ट्य के द्वंद्व की रचनात्मक एवं विध्वंसक क्षमताओं का आभास कराता नवीनतम उपन्यास | दक्षिण भारत का विली चंद्रन लंदन और अफ्रीका में लंबा समय व्यतीत करने कै बाद अपनी बहन सरोजिनी के पास बर्लिन पहुँचता है | वह चौथे दशक के आरंभिक वर्षों में है | अपनी बहन की प्रेरणा और जीवन में किसी अर्थ के तलाश की लालसा उसे भारत पहुँचा देती है | वह उग्रवाद के भूमिगत आदोलन में सक्रिय हो जाता है | नगरों की गंदी बस्तियों, दूरस्थ गाँवों और घने जंगलों में छापामार आदोलन में उसकी सक्रियता उसे आदर्श के सम्मोहक स्वप्नों की छाया में पलती हिंसा-प्रतिहिंसा के विविध पहलुओं से रू-बरू कराती है | वह अनुभव करता है कि कैसे एक क्रांतिकारी आदोलन भटकाव का शिकार हो जाता है | छापामारों के बीच बिताए सात वर्षों के अनुभव उस क्रांति से उसके मोहभंग का कारण बनते हैं | अनेक वर्ष उसे जेल में व्यतीत करने पड़ते हैं, जहाँ का अपना विशिष्ट अनुभव-संसार है | वह महसूस करता है कि जिस क्रांति के सम्मोहन में पड़कर वह भूमिगत आदोलन से जुड़ा था वह स्वयं भटकाव का शिकार हो चुका है | जिन गाँवों तथा ग्रामीणों की तकदीर और तसवीर बदलने के लक्ष्य को लेकर यह क्रांतिकारी आदोलन शुरू हुआ था उसमें प्रवंचक राजनीति का भी हस्तक्षेप हो गया है | लंदन के अपने अतीत में लिखी एक पुस्तक उसके लिए मुक्ति का एक द्वार खोलती है | एक पुराने मित्र के प्रयासों से वह उसके पास लंदन पहुँच तो जाता है, परंतु यहाँ भी उसको शारीरिक और मनोवैज्ञानिक भटकाव का ही एहसास होता है | उसका साक्षात्कार एक अलग प्रकार की सामाजिक क्रांति से होता है | अनेक वर्जनाओं से मुका कहे जानेवाले इस संसार में भी वह अपने आपको एक अंतहीन कारा में पड़ा हुआ पाता है और फिर प्राप्त होता है मुक्ति का तत्त्वबोध | पश्चिमी साहित्यिक जगत् में अपनी अनूठी कथावस्तु दृष्टि की स्पष्टता, अद्भुत व्यक्ति चित्रण और अभिभूत कर देनेवाली भाषा-शैली के लिए भरपूर सराहे गए ' नोबेल पुरस्कार ' से सम्मानित सर वी.एस. नायपॉल के उपन्यास ' मैजिक सीड़स ' का यह हिंदी रूपांतर निश्चय ही सराहा जाएगा |


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