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Specifications

Print Length

236 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2010

ISBN

8173150141

Weight

415 Gram

Description

"एक दिन आया जब पुस्तक पूरी हो गई | वह दिन था 17 जून | साथ में अयोध्या प्रसाद .शर्मा थे, पुस्तक पूरी करने में ठीक साठ दिन लगे थे | मैं पांडुलिपि लेकर उसी गढ़े में गया जिसमें 17 अप्रैल की रात- भर उधेड़-बुन में जागता रहा था | छिपाऊँगा नहीं कि मैं एक रूमाल में बाँधकर थोड़े से फूल भी ले गया था | मैंने अपने इष्‍ट को वे फूल चढ़ाए और नतमस्तक होकर धन्यवाद दिया | प्रार्थना की कि मरते दम तक लिखता रहूँगा |'' -इसी पुस्तक से डॉ० वृंदावनलाल वर्मा जैसे थोडे ही उपन्यासकार होते हैं जो इतिहास को कल्पना-मंडित कर इतिहास से अधिक विश्‍वसनीय, कमनीय और प्रासंगिक बना देते हैं | उनके उपन्यासों में कल्पना का वैभव सर्वत्र मौजूद है, वे बुंदेलखंड की नदियाँ, पहाड़ों, भरकों और डमगे को अपनी कथा में ऐसा गूँथ देते हैं कि बुंदेलखड के भूगोल को एक नई दीप्‍त‌ि मिलती है और बुंदेलखंड के इतिहास को एक नई समृद्धि | स्वयं वर्माजी द्वारा लिखा गया अपना जीवन -वृत्त, हिंदी साहित्य के इतिहास की दृष्‍ट‌ि से जो परम उपादेय है |


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