भारत-चीन संबंधों में आरोहों-अवरोहों का एक लंबा इतिहास रहा है| ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ का नारा लगाते हुए भी सन् 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण किया| इसके बाद भी चीन भारत के अनेक क्षेत्रों में लगातार अतिक्रमण करता रहा है| चीन के प्रति आत्मसमर्पण की स्थिति हमारी नीतियों के कारण ही है| चीन के अतिक्रमण के लिए केवल सरकारी नीतियाँ ही जिम्मेदार नहीं रही हैं, अपितु इसके लिए अन्य कारक भी उत्तरदायी रहे हैं, जैसे-हमारे देश की पूर्णरूप से ध्वस्त हो चुकी राजनीतिक व्यवस्था; सरकारी निकायों की अत्यधिक दुर्गति, जिसके कारण इनकी क्षमता खत्म होती जा रही है| लोगों में भौतिक साधनों के प्रति आकर्षण मीडिया और उसकी ‘जीवन-शैली पत्रकारिता’ द्वारा उत्पन्न किया जाता है-तब कौन सा देश इन परिस्थितियों में अवसर तलाश नहीं करेगा? क्या चीन नहीं करेगा? यह पुस्तक उन भ्रांतियों की रूपरेखा प्रस्तुत करती है, जिसने पंडित नेहरू को भी भ्रमित कर दिया और जिसके फलस्वरूप देश को भारी क्षति उठानी पड़ी| सन् 1962 की पराजय पर अब तक बहुत सा साहित्य लिखा जा चुका है; परंतु यह पुस्तक उन सबसे अलग हटकर है| इसमें केवल पंडितजी के लेखों व भाषणों के आधार पर उनकी चीन संबंधी नीतियों का पुनर्मूल्यांकन करने का प्रयास किया गया है| चीनियों द्वारा हमें सिखाए गए सबक, जो हमने नहीं सीखे, उन्हें उद्घाटित कर अंतर्मंथन और पुनर्विचार करने का मार्ग प्रशस्त करती है विद्वान् पत्रकार-अरुण शौरी की पुस्तक भारत-चीन संबंध|
Bharat - Cheen Sambandh (भारत - चीन संबंध)
Author: Arun Shourie (अरुण शौरी)
Price:
$
15.01
Condition: New
Isbn: 9788173157219
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Other,Current Affairas and Pollitics,
Publishing Date / Year: 2014
No of Pages: 240
Weight: 420 Gram
Total Price: $ 15.01
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