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Virakt (विरक्त)

Price: $ 6.69

Condition: New

Isbn: 9789389373172

Publisher: Rajpal and sons

Binding: Paperback

Language: Hindi

Genre: Fiction,Literature and Language,

Publishing Date / Year: 2019

No of Pages: 208

Weight: 288 Gram

Total Price: $ 6.69

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सात वर्ष की उम्र में अपने पिता को खोकर वह अपना पिता बन गया और शायद खुद अपना पुत्र भी। यह उपन्यास वक्त की धूल, मिट्टी और राख झाड़कर उसी किरदार की अपने पिता के जीवन में न सिर्फ झाँकने की गहरी कोशिश है बल्कि उत्तर प्रदेश के एक छोटे शहर से महानगर मुंबई में विस्थापन के बाद बेमानी-सी जिन्दगी में मायने ढूढ़ने की कोशिश है। अधिकांश लोगों का जीवन आसक्ति से आरम्भ होकर विरक्ति के साथ खत्म हो जाता है - काशी की संकरी गलियों की तरह जो यहाँ वहाँ से होती हुई आखिरकार गंगा के तट पर बने महाश्मशान पर आकर खत्म हो जाती हैं - बचती हैं तो सिर्फ स्मृतियाँ। इस विराट संसार में मिलती, बिछुड़ती, टकराती, डूबती, तैरती, उभरती स्मृतियाँ। और अंततः एक रोज़ जब स्मृतियों की झील भी सूख जाती है तब आखिरकार एक कहानी ही तो बची रह जाती है। इंसान की नेकनामी और बदनामी की कहानी और जिस्मानी मौत के बावजूद हम उन कहानियों में ज़िंदा रहते हैं। 10 अप्रैल 1980 को गोरखपुर में जन्मे अमलेन्दु तिवारी का विरक्त उपन्यास उनके पहले उपन्यास की एक तरह से अगली कड़ी भी है लेकिन यह एक परिपूर्ण उपन्यास के रूप में भी पढ़ा जा सकता है। अपनी एम.बी.ए. की पढ़ाई खत्म करने के बाद लेखक कुछ दिन एक लॉ फर्म में कार्यरत रहे। बाद में एमएनसी बैंक में एक दशक तक नौकरी भी की। वर्तमान में वे फ़िल्म, टीवी, रेडियो और साहित्य के लिए स्वतंत्र लेखन करते हैं। इनका सम्पर्क है: amlendu.tewari1@gmail.com