बाबा! हम लोग ज़िन्दगी की सबसे बड़ी हलचल से गुज़र रहे हैं। अंदर-अंदर देश में आग लगी हुई है। सुभाष बाबू का संघर्ष, खुदीराम बोस और भगतसिंह की फाँसी, गाँधी जी की अहिंसा - सबका फलाफल क्या होगा - कुछ पता नहीं! और इधर पागल वहशी लोगों ने बँटवारे की कोशिशें तेज़ कर दी हैं। कल क्या होगा!...’’ - इसी पुस्तक से कस्मै देवाय ढाका से बड़ी संख्या में हिन्दुओं का 1944 में कलकत्ते की ओर पलायन की पृष्ठभूमि पर लिखा उपन्यास है। इसमें अपना बसा-बसाया घर छोड़कर मजबूर शरणार्थियों की तरह दर-ब-दर भटकने वालों की मर्मांतक पीड़ा को इतनी खूबसूरती से उकेरा गया है कि पढ़ते हुए घटनाएँ आँखों के सामने चलचित्र की तरह घटती लगती हैं। महेन्द्र मधुकर एक सुपरिचित साहित्यकार हैं जिनके अभी तक चार उपन्यास, कई कविता-संग्रह और आलोचना एवं व्यंग्य पर पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। बी.आर. अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष महेन्द्र मधुकर यू.जी.सी. एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार के पूर्व ज्यूरी सदस्य रह चुके हैं। इनका संपर्क है: dr.mahendramadhukar1961@gmail.com
Kasmai Devaay (कस्मै देवाय)
Price:
$
5.51
Condition: New
Isbn: 9789389373509
Publisher: Rajpal and sons
Binding: Paperback
Language: Hindi
Genre: Fiction,Literature and Language,
Publishing Date / Year: 2020
No of Pages: 176
Weight: 256 Gram
Total Price: $ 5.51
Reviews
There are no reviews yet.