$12.92
Genre
Print Length
480 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2018
ISBN
9789386534576
Weight
560 Gram
माटी ही विनाशलीला बनी और उसी माटी से फिर मिला पुनर्जीवन।
1999 में ओड़िशा में एक ऐसा भयंकर साइक्लोन आया जो उत्तरी हिन्द महासागर में अभी तक का सबसे विनाशकारी साइक्लोन था। समुद्र का पानी तट को पार कर 35 किलोमीटर अन्दर तक पहुँच कर जगतसिंहपुर जिले के तमाम गाँवों को तहस-नहस कर गया और अनुमान है कि 50,000 लोगों की इसमें जान गयी।
साइक्लोन के चार दिन बाद लेखिका प्रतिभा राय जगतसिंहपुर ज़िला गयीं। कुछ राहत-सामग्री इकट्ठी कर उन्होंने बचे हुए लोगों में बाँटी। दिल दहलाने वाले प्रकृति के इस विनाश से प्रतिभा राय बहुत विचलित हुईं और चार साल तक लगातार जगतसिंहपुर ज़िला जाती रहीं और राहत कार्य के अतिरिक्त वहाँ जिन लोगों ने अपने परिजन खोये थे, उनकी काउंसलिंग भी की।
इन चार वर्षों के अनुभव के आधार पर जगतसिंहपुर के तटवर्ती क्षेत्र के लोगों के जीवन पर उन्होंने यह उपन्यास रचा है। जगतसिंहपुर एक ज़माने में सम्पन्न कलिंग साम्राज्य का हिस्सा था-उस ऐतिहासिक समय से लेकर साइक्लोन आने तक और इसके बाद वहाँ की संस्कृति, लोगों का रहन-सहन और उनकी जीविका कैसे परिवर्तित हुई, इन सबको समेटा गया है इस उपन्यास में। साइक्लोन को केन्द्र में रखते हुए, जहाँ एक ओर मग्नमाटी इस सारे परिवर्तन विशेष की कहानी है वहीं यह मानव के अदम्य साहस की गाथा है जो सब कुछ लुट जाने के बाद भी जीने की लालसा रखता है।
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