जापानी सराय अनुकृति उपाध्याय का लेखन की दुनिया में पहला कदम है जिसमें सम्मिलित दस कहानियों को हिन्दी कहानी की किसी परम्परा में नहीं रखा जा सकता। ताज़ा हवा के झोंके की तरह ये कहानियाँ बारजे में फैली सर्दी की धूप की तरह हैं-सुकून भी देती हैं और कई बार चुभ भी जाती हैं। इन कहानियों में युवाओं के जीवन की चुनौतियाँ हैं, जो जीवन में अपने को स्थापित करने की जद्दोजहद में लगे हैं-कुछ पाना चाहते हैं और आज़ाद भी होना चाहते हैं। इन कहानियों में रिश्तों का बंधन नहीं साहचर्य का सुख है; कहीं भी ठहराव नहीं दिखाई देता है बल्कि यात्राएँ हैं। उन्हीं यात्राओं में बहुत कुछ मिलता जाता है, खोता जाता है। समय न हर्ष के लिए बचा है न विषाद के लिए। अनेक वर्षों तक हाँगकाँग में बैंकिंग और निवेश के सैक्टर में कार्यरत रहने के बाद अनुकृति उपाध्याय ने साहित्य-जगत में प्रवेश किया है। वह लिखती हैं इस आशा में कि इस रचनात्मक जोड़ने-तोड़ने में वह कुछ अनाम ढूँढा जा सके जो शायद है भी या नहीं भी। इनका संपर्क: anukriti.upadhyay@gmail.com
Japani Sarai (जापानी सराय)
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4.38
Condition: New
Isbn: 9789386534729
Publisher: Rajpal and sons
Binding: Paperback
Language: Hindi
Genre: Fiction,Novels and Short Stories,
Publishing Date / Year: 2019
No of Pages: 128
Weight: 208 Gram
Total Price: $ 4.38
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