$3.82
Print Length
112 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2019
ISBN
9789386534941
Weight
192 Gram
स्त्री विमर्श के आम मुहावरों से हटकर जिन युवा लेखिकाओं ने अपने परिवेश का जीवंत चित्रण कर विशेष पहचान बनायी है उनमें तराना परवीन प्रमुख हैं। उनका यह पहला कहानी-संग्रह अपनी विलक्षण निगाह, निजी संवेदना और गहरी पक्षधरता का परिचय देती है। गंभीर सवालों के साथ भाषा का नया मुहावरा इन कहानियों को पठनीय बनाता है जो देर तक पाठक के दिल में रहता है।
पिछले पच्चीस वर्षों से अनेक विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में अंग्रेज़ी का अध्यापन कर चुकीं तराना परवीन की अब तक तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। हंस, मधुमती, इंडिया टुडे साहित्यिक वार्षिकी में प्रकाशित उनकी कहानियाँ विशेष चर्चा का विषय रही हैं। वर्तमान में वे उदयपुर के मीरा गल्र्स कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।
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