Bol Kashtkar (बोल काश्तकार)

By Sandeep Meel (संदीप मील)

Bol Kashtkar (बोल काश्तकार)

By Sandeep Meel (संदीप मील)

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Specifications

Print Length

144 pages

Language

Hindi

Publisher

Rajpal and sons

Publication date

1 January 2022

ISBN

9789393267214

Weight

224 Gram

Description

कहानी के नये दौर में भारतीय ग्रामीण समाज के विश्वसनीय और प्रामाणिक चित्र कम आ रहे हैं। संदीप मील उन कथाकारों में हैं जो गाँव से निकलकर शहर में आए लेकिन गाँव का जीवन अभी भी उनके दैनंदिन जीवनानुभवों का हिस्सा है। यहाँ गाँव की भावुक स्मृतियाँ नहीं हैं और न शहरी जीवन की विसंगतियों को ग्रामीण जीवन के समक्ष लाकर वे तुलना करना चाहते हैं। यह हमारे समय का ही दृश्य है जहाँ दोनों इकाइयों का अच्छा बुरा जीवन अपने तमाम रंगों में मिलता है। मील की उपलब्धि इस बात में है कि वे अपने तीसरे कहानी संग्रह में किसानों पर ’बोल काश्तकार’ जैसी कहानी लिखते हैं तो कैम्पस के नौजवान छात्र-छात्राओं पर ’राष्ट्रवाद, विश्वविद्यालय और टैंक’ भी। नागरिक जीवन के किंचित भिन्न दृश्य ’शहर पर ताले’, ’जुर्माना’ और ’पदयात्री’ में आए हैं। उनकी लेखनी का अपना रंग ’चाँद पहलवान’ सरीखी कहानी में मिलता है जहाँ किस्सागोई का आनंद जीवन की तमाम विडम्बनाओं के मध्य निकलकर आता है। कहना न होगा कि हमारे उपभोगवादी दौर में ये कहानियाँ सहेजकर रखने लायक रचनाएँ हैं।

संदीप मील एक ऐसा कथाकार है जिसके किरदार असल जिंदगी में बहुत टूटे और हारे हुए लोग हैं लेकिन जब वे कागज पर विकसित होते हैं तो उनका मनोविज्ञान निडरता से बेलाग जमाने का सच कह रहा होता है। जनांदोलनों में सक्रियता के साथ राजनीति विज्ञान में डॉक्टरेट की। किसानों से लेकर संस्कृतिकर्मियों के बीच एक ऐसा संवाद का पुल है जो कलम चलाना भी जानता है और कुदाल चलाना भी।


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