$5.73
Print Length
160 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2023
ISBN
9789393267450
Weight
240 Gram
समकालीन हिन्दी कथा साहित्य में लोकबाबू की पहचान अपने कथ्य और प्रस्तुतीकरण के ठेठ देशी अंदाज़ के कारण है। किसानों के सवाल, आदिवासी जीवन, छोटे शहरों और कस्बों में मध्यवर्गीय परिवारों के चित्र लोकबाबू के कथा-साहित्य का निर्माण करते हैं। जंगलगाथा उनका नया कहानियों का संग्रह है, जिसमें छत्तीसगढ़ के वनांचल का लगभग अनदेखे जीवन का जीवंत वर्णन है। ‘जंगलगाथा’ कहानी आदिवासी जीवन का ऐसा प्रसंग है जिसके बहाने मध्यवर्ग की सामाजिक विडम्बना को बखूबी देखा जा सकता है। ‘मुखबिर मोहल्ले का प्रेम’ नक्सली गतिविधियों के बीच डरे-सहमे एक प्रेमी जोड़े की कहानी है, तो ‘होशियार आदमी’ में कोरोना के भयग्रस्त जीवन की झलक है और ‘मुजरिम’ किसान आत्महत्या का विषाद पैदा करती है। लोकबाबू सशक्त भाषा में कहानी रचते हैं जिसमें स्थानीय बोलियों और मुहावरों की छटा भी है। भारत के हृदय प्रदेश के जीवन का यह रंग-बिरंगा कोलाज पाठकों को अवश्य रुचिकर लगेगा।
सामाजिक सरोकारों और छत्तीसगढ़ अंचल के लोक जीवन की संवेदनशील प्रस्तुति के लिए लोकबाबू के कथा-साहित्य की विशेष प्रशंसा होती है। उनका उपन्यास बस्तर बस्तर आलोचकों और पाठकों दोनों ने पसंद किया है। इसके अतिरिक्त उनके अब तक दो उपन्यास और दो कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।
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