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Print Length
160 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2021
ISBN
9789389373554
Weight
240 Gram
ऊपरी तौर पर देखें तो लगता है कि यह युद्ध सरकारों और आतंकियों का है किन्तु सत्य यह है कि यह युद्ध धरती और समुद्र का है और उसमें एक बड़ा और बलवान चरित्र रामसेतु भी है। किसी को दिखाई नहीं दे रहा किन्तु रामसेतु ही युद्ध कर रहा है; और उसका युद्ध अभी समाप्त नहीं हुआ है।’’
भारत-श्रीलंका को जोड़ने वाले रामसेतु का विवरण रामायण में पाया जाता है। लेकिन क्या यह सेतु मात्र कल्पना है या यथार्थ-लम्बे समय से यह विवाद का विषय रहा है और-यही इस उपन्यास का केन्द्र भी है। जहाँ एक ओर यह आस्था का प्रतीक है तो वहीं दूसरी ओर भौतिक, वैज्ञानिक प्रमाणों की भी बात है। समय-समय पर अलग राजनैतिक दल अपने मतलब के लिए रामसेतु का प्रयोग करते आये हैं और इन राजनैतिक दाँवपेंचों के बीच उलझे इसके रहस्य को उजागर करने में कल्पित पात्र वरुणपुत्री भी रहस्यमयी भूमिका निभाती है। अपने लोकप्रिय उपन्यास वरुणपुत्री के बाद एक बार फिर लेखक नरेन्द्र कोहली इस उपन्यास में मिथक, फ़ैंटेसी, पौराणिक घटनाएँ, वैज्ञानिक तर्क का एक अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत करते हैं।
पिछले छह दशकों से साहित्य जगत को समृद्ध करते आ रहे नरेन्द्र कोहली की गणना हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों में की जाती है। उपन्यास, कहानी, व्यंग्य, निबन्ध - अलग-अलग विधाओं में अब तक उनकी सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। 2017 में ‘पद्मश्री’ और 2012 में ‘व्यास सम्मान’ से उन्हें अलंकृत किया गया है।
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