यह उपन्यास अपने कथ्य और शिल्प में बेजोड़ है। कथा मार्मिक है और भाषा बेहद काव्यात्मक-‘प्यार एक चाँद था कभी न डूबने के लिए आकाश में उगा हुआ।’ पँखुड़ी-पँखुड़ी प्रेम स्वातंत्र्यपूर्व और स्वातंत्र्योत्तर भारत के लगभग सौ वर्षों के कालखंड में फैली छत्तीसगढ़ के ग्रामीण जीवन की और नायिका प्रेम के बहाने स्त्री-जीवन की एक करुण गाथा है। इसे पढ़ते हुए पाठक का मन पुरइन पत्तों पर ठहरी जल-बूँदों की तरह थरथराने लगता है। उपन्यास उस साझा जीवन, साझा समाज और साझा सस्ंकृति पर जोर देता है जो प्रकृति के बीच स्पंदित है। यहाँ ग्राम अंचल की प्रकृति का विरल और विशिष्ट चित्रण है। यह कृति हमें उन मूल्यों की तरफ ले जाना चाहती है जिन्हें हमने बहुत पीछे छोड़ दिया है। प्रेम का चरित्र अंत में जाकर अपने बृहत्तर सामाजिक और लोक-सदंर्भ को प्राप्त करता है। ‘प्रेम‘ की जो पंखुड़ियाँ उड़कर दूर चली गई थीं। अंत में वह उन पंखुड़ियों को पुनः प्राप्त करती है और एक लोक-पुष्प में बदल जाती है। इसका आस्वाद नया है। हिन्दी उपन्यासों की परंपरा में यह उपन्यास नए गवाक्ष खोलता है।’’ - डॉ. विजय बहादुर सिंह (प्रख्यात आलोचक) एकान्त श्रीवास्तव प्रसिद्ध कवि-कथाकार-आलोचक-संपादक हैं। उनकी कुल तेरह किताबें प्रकाशित हुईं और चार प्रकाशनाधीन हैं। उन्हें डेढ़ दर्जन से अधिक पुरस्कार प्राप्त हुए। अनेक देशों की यात्राएँ कीं। वागर्थ पत्रिका का नौ वर्षों तक संपादन किया।
Pankhuri Pankhuri Prem (पँखुड़ी पँखुड़ी प्रेम)
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Condition: New
Isbn: 9789393267238
Publisher: Rajpal and sons
Binding: Paperback
Language: Hindi
Genre: Fiction,Sex,Marriage and Romance,
Publishing Date / Year: 2022
No of Pages: 176
Weight: 256 Gram
Total Price: $ 5.90
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