$6.98
Genre
Print Length
144 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2018
ISBN
9789386534651
Weight
364 Gram
इन पर्चियों को मैं ताश के पत्तों की तरह फेंटूँ और उन्हें मेज़ पर फैला दूँ। दरअसल यही तो थी, फ़िलहाल मेरी ज़िन्दगी? सो मेरी सारी हदें, इस वक्त, करीब इन बीस असंगत नाम और पतों तक ही सीमित थीं जिनके बीच मैं, महज एक कड़ी था? और क्यों ये ही सारे नाम थे बजाय किन्हीं और नामों के? क्या साम्यता थी, मुझमें और इन नामों और जगहों में? मैं किसी ख़्वाब में था, जहाँ यह मालूम होता है कि जब खतरा सिर पर मँडराने लग जाय तब हम किसी भी पल जाग सकते हैं। अगर मैं यह तय कर लेता, मैं इस मेज़ को छोड़ कर उठ जाता, तब सब कुछ बर्बाद हो जाता, सब कुछ शून्य में विलीन हो जाता। जो बाकी रह जाता, वह होता सिर्फ़ टीन का एक बक्सा और कागज़ के कुछ टुकड़े, जिन पर घसीटे अक्षरों में, लोगों और जगहों के नाम लिखे हुए थे, जिनके किसी के लिए भी कोई मायने नहीं होते।’’
2014 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित विश्वस्तरीय फ्रांसीसी लेखक, पाट्रिक मोदियानो, की गिनती इक्कीसवीं सदी के महत्त्वपूर्ण लेखकों में की जाती है। अब तक पाट्रिक मोदियानो की तीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। वे उन गिने-चुने लेखकों में से हैं जिनको आलोचकों और पाठकों, दोनों के बीच समर्थन और लोकप्रियता मिली है। फ्रांस में उन्हें साहित्य में योगदान के लिए 2010 में Prix Mondial Cino Del Duca पुरस्कार, 2012 में Austrian State Prize for European Literature से सम्मानित किया गया। उनकी कृतियाँ विश्व की 30 भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं।
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