$3.99
Genre
Print Length
112 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2021
ISBN
9789389373578
Weight
192 Gram
नीना आँटी का गार्डन वैशाख की गर्मी में भी रंगों से जगमगा रहा था। नीले-बैंगनी जैकारेंडा, पीतल-पीले अमलतास, चटख कसूमल बोगेनवेलिया से चहारदीवारी रंग-बिरंगी थी। जहाँ-तहाँ लाल गुलाबों के उद्दाम-फूलते पौधे थे और पीले-नारंगी गेंदे। मोगरा, चमेली, चम्पा, हरसिंगार। गंधों का कोलाहल था। पैरों तले घास ठंडी थी और सघन लेकिन नरम दूब नहीं, तिपतिया और दूसरी जंगली घासें। दरअसल, पूरा बाग ही एक तरह से जंगली था, कहीं कोई तरतीब नहीं थी। हर तरफ़ सूखे पत्ते-और मुट्ठियों-झरतीं गुलाब-पाँखुरें। सब कुछ सहज, सब कुछ स्वतंत्र...’’
नीना आँटी- अपने बग़ीचे की तरह सहज, उन्मुक्त, खिली-खुलीं। परिवार के युवाओं और किशोरों में लोकप्रिय और अपने भाई-बहनों के तानों पर मुस्कुरातीं नीना आँटी पहाड़ पर अपने बँगले में लाल गुलाबों, काले बिल्ले और अपने बहुरंगी अतीत के साथ रहती हैं। जीवन की अनगिन संभावनाओं का अन्वेषण करतीं, अपने में स्थिर और दूसरों को बाँट कर भी न छीजतीं नीना आँटी कौन हैं-सरकश औरत, स्वेच्छाचारिणी, जादूगरनी...
अनेक वर्षों तक हॉन्गकॉन्ग में बैंकिंग और निवेश के सैक्टर में कार्यरत रहने के बाद अनुकृति उपाध्याय साहित्य-जगत में उभरता नाम है। वह हिन्दी और अंग्रेज़ी, दोनों भाषाओं में लिखती हैं। चर्चित कहानी-संग्रह जापानी सराय के बाद यह उनकी दूसरी पुस्तक है।
इनका संपर्क: anukrti.upadhyay@gmail.com
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