$6.18
Genre
Print Length
192 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2021
ISBN
9789389373585
Weight
272 Gram
इस उपन्यास में स्त्री जीवन की अनेक राहों की विविध परतों वाली कई कहानियाँ हैं - त्रासदीपूर्ण, अपनी मर्ज़ी से जीने की ज़िद से घायल कदमों की कहानियाँ, प्रेम पाने की लालसा और छले जाने की कहानियाँ, अपने ही घर-परिवार और सन्तानों से टकराव और दूर होते जाने की कहानियाँ।’’
- नवीन जोशी, वरिष्ठ पत्रकार
जीवन की जद्दोजहद, घर-बार, समाज, नौकरी की तमाम किरचों की चुभन समेटे हुए हताशा और निराशा से मीलों आगे की दूरी तय करती स्त्री के साहस और संकल्प की कथा है रजनी गुप्त के इस नवीनतम उपन्यास में।’’
- प्रो. शशिकला राय, प्रख्यात साहित्यकार
तिराहे पर तीन कथाकार रजनी गुप्त का अलग-अलग समय, पीढ़ी एवं वर्ग से आईं स्त्रियों का रूढ़ियों और वर्जनाओं को तोड़कर नई अस्मिताओं की खोज करता उपन्यास है।’’
-विवेक मिश्र, युवा कथाकार
स्त्री जीवन की मुड़ी-तुड़ी तहों को पूरी निडरता से खोलने वाली चर्चित कथाकार रजनी गुप्त की रचनात्मक यात्रा में हर उम्र की आवाज़ों को सुना जा सकता है। एक तरफ़ वे आज के समय की पदचाप सुनकर तटस्थता बरतते हुए उनके जीवन की धड़कनों को सुनती हैं तो दूसरी तरफ़ उनके लेखन के केन्द्र में हैं गाँव-कस्बों से लेकर शहरों व महानगरों तक फैले विविध रंगी जीवन की हलचल। तिराहे पर तीन उपन्यास उनकी लेखन यात्रा की नवीनतम कड़ी है।
संपर्क: gupt.rajni@gmail.com
0
out of 5