$10.00
Print Length
110 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
849891028126
Weight
245 Gram
कस्तूरबा का व्यक्तित्व गांधीजी को चुनौती देता प्रतीत होता है | स्वयं गांधीजी इस बात को स्वीकार करते हुए कहते हैं- '' जो लोग मेरे और बा के निकट संपर्क में ओए हैं, उनमें अधिक संख्या तो ऐसे लोगों की है, जो मेरी अपेक्षा बा पर अनेक गुनी अधिक श्रद्धा रखते हैं | '' तेरह वर्ष की उम्र में बा बापू के साथ विवाह-सूत्र में बँध गई थीं | गांधीजी को बा की निरक्षरता बहुत चुभती थी | धीरे- धीरे उन्होंने बा को कामचलाऊ पढ़ने- लिखने योग्य बनाया और बा भी बापू के रंग में रँगती चली गईं | बापू सिद्धांत बनाते और बा उनपर अमल करतीं | दक्षिण अफ्रीका प्रवास के दौरान रंगभेद की नीति के विरुद्ध बा कई बार जेल गई | भारत की आजादी की लड़ाई में उन्होंने बापू के कदम-से-कदम मिलाया | वटवृक्ष को आकार देनेवाला बीज प्राय: मिट्टी तले ही छिपा रहता है | गांधीजी को वटवृक्ष बनाने में कस्तुरबा का योगदान भी उसके एक बीज की तरह का रहा है | प्रस्तुत पुस्तक कस्तुरबा गांधी की उज्ज्वल जीवन-गाथा है, जो आनेवाली पीढ़ियों का युगों-युगों तक पथ-प्रदर्शन करती रहेगी |
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