$6.56
Print Length
224 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2023
ISBN
9789386534316
Weight
304 Gram
उमराव जान उन्नीसवीं सदी की लखनऊ की तवायफ़ थी जो अपनी खूबसूरती, शोख अदाओं और नाच-गाने के साथ अपनी शायरी के लिए भी मशहूर थी। हर शाम उसका कोठा घुँघरुओं की गूँज, जामों की खनक, शेरो-शायरी की वाहवाही से गुलज़ार हो उठता और खानदानी रईस, जोशीले नवाबज़ादे, नामी गुण्डे, शराबी-कबाबी उसकी रौनक बढ़ाते। उमराव जान अदा पढ़ते पाठक की आँखों के करीब दो सौ साल पहले की लखनवी तहज़ीब की जीती-जागती तस्वीर उभर आती है।
लेकिन उमराव जान की चमक शानो-शौकत के पीछे एक छोटी-सी लड़की, अमीरन की दिल को छू लेने वाली दुखभरी कहानी है। कम उम्र में अमीरन का अपहरण कर उसे कोठे पर बेचा जाता है। अमीरन से उमराव जान बनी लड़की का शरीर मजबूरन कोठे पर है, लेकिन उसकी रूह फ़ैजाबाद के अपने घर की तलाश में भटकती रहती है।
1899 में उर्दू में पहली बार उमराव जान अदा प्रकाशित हुई थी। माना जाता है कि लेखक की मुलाकात उमराव जान से एक मुशायरे में हुई और उसने अपनी कहानी बयान की और लेखक ने इसे इस ढंग से लिखा जैसे उमराव जान खुद अपनी दास्तान बयाँ कर रही हो। एक सदी से भी ज़्यादा समय बीत जाने के बाद भी उमराव जान का रोमाँच वैसे ही बरकरार है और लोग आज भी उसके बारे में जानने को बेकरार रहते हैं-चाहे किताब की बाबत हो या फिर फ़िल्म के।
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