Krantinayak Bipin Chandra Pal (क्रांतिनायक बिपीन चंद्र पाल)

By M. I. Rajasvi (एम. आय. राजस्वी)

Krantinayak Bipin Chandra Pal (क्रांतिनायक बिपीन चंद्र पाल)

By M. I. Rajasvi (एम. आय. राजस्वी)

$7.78

$8.17 5% off
Shipping calculated at checkout.

Specifications

Print Length

136 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2013

ISBN

9789381063590

Weight

290 Gram

Description

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की नींव तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभानेवाली लाल-बाल-पाल की तिकड़ी में से एक बिपिनचंद्र पाल राष्‍ट्रवादी नेता होने के साथ-साथ शिक्षक, पत्रकार, लेखक और एक प्रखर वक्‍ता भी थे| उन्हें भारत में क्रांतिकारी विचारों का जनक माना जाता है| लाल-बाल-पाल की इस तिकड़ी ने सन् 1905 में बंगाल-विभाजन के विरोध में ब्रिटिश शासन के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन किया| उन्होंने महसूस किया कि विदेशी उत्पादों की वजह से देश की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो रही है और यहाँ तक कि लोगों का काम-काज भी छिन रहा है, अतः अपने आंदोलन में उन्होंने इस विचार को भी सामने रखा| राष्‍ट्रीय आंदोलन के दौरान ‘गरम धड़े’ के अभ्युदय को महत्त्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इससे आंदोलन को एक नई दिशा मिली और भारतीय जनमानस में जागरूकता बढ़ी| स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महर्षि अरविंद के खिलाफ गवाही देने से इनकार करने पर बिपिनचंद्र पाल को छह महीने की सजा हुई| जीवन भर राष्‍ट्र-हित के लिए काम करनेवाले बिपिनचंद्र पाल 20 मई, 1932 को भारत माँ के चरणों में अपना सर्वस्व त्यागकर परलोक सिधार गए|


Ratings & Reviews

0

out of 5

  • 5 Star
    0%
  • 4 Star
    0%
  • 3 Star
    0%
  • 2 Star
    0%
  • 1 Star
    0%