Kyon, Kyon Aur Akhir Kyon (क्यों क्यों आखिर क्यों)

By Krishna Kumar (कृष्ण कुमार)

Kyon, Kyon Aur Akhir Kyon (क्यों क्यों आखिर क्यों)

By Krishna Kumar (कृष्ण कुमार)

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Specifications

Print Length

144 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2012

ISBN

9789381063255

Weight

290 Gram

Description

जरीना की आँखें भगत के शरीर पर गड़ी थीं| मन बार-बार भगत एवं राज की ओर भागकर जाता रहा| वह एक अशांत पक्षी की तरह एक डाल से दूसरी डाल पर फुदकती रही| फिर कभी वह अपने आप से प्रश्‍न करती-'हम दोनों ने ऐसा क्या कर दिया होगा, जिसके कारण मेरे धर्म भाई ने ही मेरा सुहाग लूटना चाहा?’ थोड़ी देर बाद वह कुछ बुदबुदाने लगी, जिसकी आवाज सुनकर लोगों ने उसे सँभाला| तेज हवा के वेग से हिलनेवाले सूखे पत्तों की तरह जरीना का शरीर काँप रहा था| फिर से बुदबुदाते हुए जरीना ने कहा, ''राज से यह सब किसी ने करवाया है| निश्‍चय ही किसी ने बहकाया है| लेकिन वह बहका ही क्यों? वह कौन सा ऐसा कारण हो सकता है, जिसने राज को यह सब करने को मजबूर किया? कहीं उसका दिमाग तो नहीं खराब हो गया है? इस शहर में हम दोनों के दुश्मन भी हैं, आस्तीन के साँप की तरह, मुझे मालूम न था|’’ -इसी संग्रह से प्रस्तुत कहानियाँ प्रवासी संसार में पारिवारिक बदलाव एवं टूटन, हिंदू-मुसलिम एकता, समाचार-पत्रों की भूमिका, सभ्य समाज को शर्मसार करती विसंगतियों का कच्चा चिट्ïठा पेश करती हैं|


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