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Specifications

Print Length

236 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2009

ISBN

9789380183022

Weight

290 Gram

Description

डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी अपने समय के सुचिंतित विचारक तथा विभिन्न विषयों के प्रसिद्ध विद्वान् थे| उनके चिंतन का आधार उनका राष्‍ट्र-प्रेम तथा भारतीय धरोहर के प्रति उनकी अनन्य निष्‍ठा थी| इसी आधारपीठिका पर वह अपने चिंतन का साम्राज्य फैलाते थे, चाहे वह भारतवंशियों के सांस्कृतिक जुड़ाव की बात हो या प्रकृति संबंधित जैन घोषणा-पत्र हो या वेद संहिताएँ हों अथवा वेदांत या फिर सगुण या निर्गुण साधना हो| डॉ. सिंघवी मानते थे कि भाषा, साहित्य और संस्कृति मनुष्य की सामाजिक अस्मिता के अंग और अवयव हैं| इनकी सुरक्षा और संवर्धन की बात राष्‍ट्रीय एकता को संपुष्‍ट करने के लिए जरूरी है| ‘विविधा’ में संकलित उनके 21 निबंधों में भारत की निरंतरता को समझने की कोशिश है और अतीत के उत्तराधिकार को सँजोकर आगे बढ़ने का आह्वान है| इन सब निबंधों में भारत की झलक दिखाई पड़ती है| डॉ. सिंघवी के लिए भारत स्वयं मनुष्यजाति की एक बहुत बड़ी कविता है| उसकी सांस्कृतिक आराधना में भारत के वाक् और अर्थ को डॉ. सिंघवी ने हमेशा संपृक्‍त पाया है| इन निबंधों का बार-बार पारायण भारत और उसकी संस्कृति तथा उसके विचार को समझने के लिए बहुत जरूरी है|


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