$11.78
Genre
Print Length
178 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2011
ISBN
9789381063095
Weight
340 Gram
‘कहते हैं, सारा-का-सारा ऑपरेशन प्लान माफिक किया गया| कल दिन भर, रात भर चूँकि धरना पर बैठे लोगों को हिला नहीं पाए, इसलिए भोर-रात बेधड़क लाठियाँ चलाई गईं, बिलकुल अचानक! लोगों को कुत्ते-बिल्ली की तरह दौड़ाते रहने के बाद भी बाबू लोगों का गुस्सा कम नहीं हुआ| जमीन देने को अनिच्छुक लोग अपनी रीढ़ सीधी करके खड़े न हो पाएँ, इसके लिए उन लोगों ने चड़कडाँगा गाँव चुन लिया| पुलिस और गुंडों का गिरोह...हाँ, पुलिस के जत्थे में बाहर के गुंडे भी शामिल थे| उन लोगों ने अचानक ही गाँव पर हमला बोल दिया| घर-द्वार तहस-नहस कर दिया, बच्चे-बूढ़े-जवानों को निर्ममता से पीटा, बहू-बेटियों की इज्जत लूटी| कुछ भी नहीं छोड़ा|’जया ने पूछा, ‘हाँ जी, एक बहुरिया को घसीटते-घसीटते यूँ लात चला रहे थे कि...’
-इसी उपन्यास से
जीवन के विविध रंगों-हर्ष, विषाद, उल्लास में रँगा-सामाजिकता की नींव पर मजबूती से खड़ा सशक्त उपन्यास|
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