रामचरित्र को सैकड़ों वर्ष बाद भी करोड़ों व्यक्तियों के हृदय में जो स्थान प्राप्त है, वह अद्भुत है| रामकथा को साहित्य के या अन्य किसी सामान्य मापदंड से मूल्यांकित नहीं किया जा सकता है| तुलसीदास ने तो इस कथा को मात्र ‘रामचरित’ ही नहीं, बल्कि ‘मानस’ भी कहा है| यहाँ मन ही केंद्रस्थान पर है, बुद्धि नहीं| एक चित्र में से प्रकट होता प्रवाह दूसरे चित्र को स्पर्श करे-यह विशेषता है| इसमें बुद्धि के मापदंड कई बार अपर्याप्त सिद्ध हों, ऐसा संभव है| बुद्धि का प्रदेश जहाँ समाप्त होता है, वहाँ से भक्ति का प्रदेश शुरू होता है| राम इस प्रदेश के देवाधिदेव हैं| ऐसे देवाधिदेव का अपने चित्त में उठते प्रश्नों के बावजूद वंदन ही करना चाहिए| राम ऐतिहासिक व्यक्ति नहीं, बल्कि पुराणकथा में आलेखित कल्पना-सृष्टि के पात्र हैं, ऐसे कुछ बौद्धिक अवश्य कहते हैं| जो ऐतिहासिक तथ्य अकबर अथवा अशोक के विषय में प्राप्त हैं, निरी आँखों से देखे जा सकें और गणित की स्पष्टता से समझे जा सकें, ऐसे साक्ष्य रामकथा के संदर्भ में उपलब्ध नहीं होते| निरी आँख या गणित के सत्य की एक मर्यादा है| इस मर्यादा को मापा जा सके, उतना ही सत्य है, ऐसा कहने में सत्य के विषय में हमारी अज्ञानता प्रकट होती है| जो नाम-उसके आलेखन के हजारों वर्ष बाद भी आज करोड़ों व्यक्तियों के चित्त में प्राण का संचार कर सकता हो-वह नाम एक विशुद्ध काल्पनिक पात्र है, ऐसा कहकर हम महाकाल के प्रति एवं करोड़ों व्यक्तियों की श्रद्धा के साथ अन्याय करते हैं|
Ramayan Ke Patra (रामायण के पात्र)
Author: Dinkar Joshi (दिनकर जोशी)
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11.32
Condition: New
Isbn: 9789381063064
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels and Short Stories,Culture and Religion,
Publishing Date / Year: 2011
No of Pages: 175
Weight: 345 Gram
Total Price: $ 11.32
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