$7.78
Genre
Print Length
154 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2017
ISBN
8188139270
Weight
300 Gram
बुरके से बिकनी तक का फासला उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक के फासले से भी ज्यादा है| एक तरफ बुरके में औरतों की आजादी को कैद करने की कोशिश है, दूसरी तरफ बिकनी युग के शुभागमन की तैयारी है| बिकनी युग में सबकुछ आजाद होगा| सबसे ज्यादा आजाद होगी बेहयाई| अखबारवाले भी सवाल पूछने को स्वतंत्र होंगे; बल्कि कह सकते हैं कि वे तो आज भी स्वतंत्र हैं| आप फिल्मी अभिनेत्रियों के साथ उनकी भेंटवार्त्ताएँ पढ़ लीजिए| पहला सवाल होता है कि आप अंग प्रदर्शन के बारे में क्या सोचती हैं? वे जो सोचती हैं वह बताती हैं| ज्यादातर तो कहती हैं कि उन्हें परहेज नहीं है| मुबारक हो| आज की सभ्यताएँ एक अतिवाद से दूसरे अतिवाद तक झूलती रहती हैं| समझिए, बुरके से बिकनी तक| तालिबानीकरण से लेकर औरतों के बिकनीकरण तक|
-इसी पुस्तक से
प्रस्तुत काव्य संग्रह के व्यंग्य-विषयों का चयन व्यापक घटनाचक्र से जुड़कर किया गया है| इसलिए ये व्यंग्य अपने पाठक को विषय की विविधता का सुख देते हैं और अद्यतन समय से परिचय कराते हुए उसकी विद्रूपताओं का समाहार करना भी नहीं भूलते|
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