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Genre
Print Length
142 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2018
ISBN
9789380186122
Weight
270 Gram
रिश्तों से लेकर फरिश्तों तक सबकुछ बाजार की चपेट में है| बाजार सिर्फ वही नहीं है, जहाँ वह दिखता है| बाजार अब घर के अंदर के रिश्तों में पसरा हुआ है, अमेरिका सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं, भारत में कई अमेरिका फल-फूल रहे हैं| कुल मिलाकर पंद्रह-बीस सालों में व्यंग्य के नए विषय और आयाम सामने आए हैं| प्रस्तुत संग्रह में आपको ऐसे व्यंग्य मिलेंगे, जिन्हें देखकर आप कह उठेंगे, अरे! इस विषय पर भी व्यंग्य हो सकता है क्या!
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