$7.78
Print Length
120 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2018
ISBN
9789350482230
Weight
295 Gram
मैंने एक-एक सेकंड जो वहाँ पर गुजारा, मुझे अच्छी तरह याद है| अंततोगत्वा मैं दुनिया के सबसे ऊँचे शिखर पर था| वहाँ पर भगवान् बुद्ध की एक मूर्ति रखी हुई थी| मैंने झुककर उसे प्रणाम किया| जैसे ही मैंने सिर उठाया, अपने जीवन का सबसे अद्भुत सूर्योदय देखा| यहाँ से सूर्य भी हमसे नीचे दिख रहा था और जैसे-जैसे वह ऊपर उठा, हरेक पहाड़ की चोटी, जो बर्फ से ढकी थी, सोने की तरह चमकने लगी| मीलों तक हमारी दृष्टि के लिए कोई बाधा नहीं थी| मैं पृथ्वी की वक्राकार सतह को देख सकता था|
हमने 8,848 मीटर (29,028 फीट) की ऊँचाई से थोड़ी देर चारों तरफ का नजारा देखा, क्योंकि अतिशय शीत के कारण हम वहाँ ज्यादा देर ठहर नहीं सकते थे| हम वहाँ से तिब्बत के पठार के पार की अन्य हिमालयी चोटियाँ देख सकते थे; जैसे-चोयू, मकालू और कंचनजंघा| यह एक आश्चर्यचकित करनेवाला 3600 का दृश्य है|
मुझे शिखर पर अपने देश भारत का राष्ट्रीय ध्वज लगाते हुए बहुत गर्व का अनुभव हुआ| मेरा ऑक्सीजन मास्क अभी लगा हुआ था, अतएव मन-ही-मन मैंने अपना राष्ट्रगान गाया|
-इसी पुस्तक से
जीवन में कुछ कर दिखाने, लकीर से हटकर कुछ करने का हौसला रखनेवाले जाँबाज युवा की प्रेरणाप्रद कहानी, जो किसी भी साहसिक व रोमांचपूर्ण कार्य को करने के लिए प्रेरित करेगी| "
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