$12.61
Genre
Print Length
200 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2016
ISBN
8188266760
Weight
400 Gram
दूसरों का ' सहज अभिभावक ' बन जाना उनका दुर्लभ गुण है | हमारा संस्थान एक परिवार की तरह है | पूज्य स्वामी रामदेवजी महाराज तो हमारे सर्वस्व हैं, किंतु श्री एस.के. गर्ग मेरे निजी अभिभावक की तरह हैं | मेरा- उनकायह रिश्ता बड़ा रोचक है | मैं श्री गर्ग को अपना ' अभिभावक' कहता हूँ जबकि आयु में मुझसे बडे़ होने के बावजूद वह मेरे चरण स्पर्श करते हैं और मुझे अपना ' मार्ग दर्शक ' कहते हैं | मेरी विदेश यात्राओं का व्यय वह अत्यंत स्नेहपूर्वक लगभग जबरदस्ती, स्वयं दे देते हैं | कई बार मुझे आश्चर्य होता है कि इतना निश्च्छल, संवेदनशील और भावुक व्यक्ति व्यवसाय जगत् में सफल कैसे हुआ होगा? दरअसल अपने इन्हीं गुणों के बल पर ही वह अपने परिवार, अपने व्यापारिक संस्थान, कर्मचारी और ग्राहकों के हृदय पर राज्य करते हैं | निःसंदेह वह सफल व्यवसायी हैं, किंतु अत्यंत संवेदनशील सामाजिक व्यक्ति हैं |
जैसा मैंने देखा श्री एस.के. गर्ग के अंदर बहुमुखी प्रतिभा परिलक्षित होती है | ' जाने कितने नीड़ बनाए ' एस.के. गर्ग पर लिखी अनुपम कृति है, इसकी सफलता के लिए मेरी शुभकामना है |
-आचार्य बालकृष्ण
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