$7.78
Print Length
130 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2019
ISBN
9789380186986
Weight
265 Gram
“देवी बलिदान माँग रही है, जो सिर देना चाहे वह आगे बढ़े! बढ़ो!! बढ़ो!!”
एक सिख बढ़ता है! यह कौन? अरे-यह तो वह आदमी है, जिसे कल तक हम छोटी जाति का होने के कारण अपने से छोटा समझ रहे थे|
वह आगे बढ़ा, तंबू के भीतर गया| तलवार का ‘छप’ सा शब्द हुआ, फिर खून की धारा तंबू के भीतर से निकलकर बाहर की जमीन को सींचने लगी|
“हाँ-हाँ, देवी बलिदान माँग रही है, दूसरा कौन है,-वह आगे बढ़े-बढ़ो! बढ़ो!!”
एक दूसरा बढ़ा, उसी की तरह का मामूली आदमी| फिर तंबू में ‘छप-छप’ शब्द, फिर खून की लाल धारा|
फिर गुरु की ललकार-तीसरा बढ़ा, चौथा बढ़ा, पाँचवाँ बढ़ा, छठा बढ़ा, सातवाँ बढ़ा-तंबू से निकली खून की धारा मोटी होती जा रही है-सामने की जमीन लाल-लाल हो रही है|
“बस अब नहीं-देवी खुश हो गई| बोलो-सत्य श्री अकाल| वाहे गुरुजी का खालसा, वाह गुरुजी की फतह!” और यह क्या, वे सातों शहीद वीर भी तंबू से बाहर खड़े मुसकरा रहे हैं| क्या ये जी उठे? हाँ, जी उठे! आओ, सभी अमृत पीओ| शहादत का अमृत पीओ, सिंह बनो, सिंह|
आज से सभी सिंह कहलाएँगे! सिंह-सिंह के सामने कोई आदमी क्या खाकर टिक सकता है|
-इसी संकलन से
प्रसिद्ध लेखक श्रीरामवृक्ष बेनीपुरी की प्रभावशाली बाल रचनाओं का संकलन, जो बालमन को गुदगुदाए व हँसाए बिना न रहेगा|
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