$7.78
Print Length
151 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2011
ISBN
9788177211313
Weight
285 Gram
नुक्कड़ नाटकों की जरूरत पैदा होने के पीछे कई कारण रहे हैं| सबसे पहला और तात्कालिक कारण था-देश में शोषक वर्गों के दमन का तेज होना| सामाजिक-राजनीतिक क्षेत्र में भी और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी| आजादी के बाद अंग्रेजी शासन का अंत होने से देश आजाद नहीं हुआ| देश की जनता अब भी सामंतों और पूँजीपतियों के शासन-तले पिस रही है| इस सच्चाई के सामने आते ही जनता के आंदोलन में तेजी आई| दूसरी ओर शोषक वर्गों ने इन आंदोलनों को कुचलने या भटकाने के लिए कदम उठाने शुरू किए|
इस दमन का विरोध करने का सबसे सशक्त माध्यम बन गए हैं नुक्कड़ नाटक, जो बरबस दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं| इस पुस्तक में इन सब बुराइयों-असमानताओं के प्रति जागरूकता लाने और आम जन को सचेत करनेवाले पाँच नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किए गए हैं|समाज की सुप्त चेतना पर प्रहार कर उसे सचेत करने का सफल प्रयास हैं ये नुक्कड़ नाटक|
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