$15.00
Print Length
320 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2012
ISBN
8173154414
Weight
515 Gram
जिन्ना ने कभी भी ' जेहाद ' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया- उनके अनुयायियों ने किया- परंतु उन्होंने ऐसी राजनीति को बढ़ावा दिया, जिसे प्रचलित परिदृश्य में ' जेहाद ' का नाम दिया जा सकता है | अगस्त 1946 के उनके सीधी काररवाई कार्यक्रम ने उनके अंदर स्थित ' जेहादी ' को उभारा | कई रूपों में जिन्ना भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे प्रमुख ' जेहादी ' थे | उनकी द्विराष्ट्र संबंधी राजनीति की अवधारणा ने उन्हें अकेले दम पर मुसलिम राष्ट्र पाकिस्तान का निर्माण करने में मदद दी | इस प्रक्रिया में उन्होंने उससे अधिक मुसलमान भारत में छोड़ दिए जितने पाकिस्तान में हूँ | नए राष्ट्र ने अपने निर्माता के व्यक्तित्व की विशेषता- भारतीयों के लिए अविश्वास- को ग्रहण किया, जो धीरे- धीरे भारत के, लिए घृणा में बदलती गई|
जिन्ना के बाद पाकिस्तान ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाया | जुल्फिकार अली भुट्टो ने भारत के साथ हजार वर्षों तक युद्ध करने की इच्छा जाहिर की तो जिया-उल-हक ने राजीव गांधी से कहा कि उनके देश के पास भी परमाणु बम है| अब स्वनिर्वाचित कमांडो राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ कश्मीर के घिसे हुए रिकॉर्ड को दुहरा रहे हैं और भारत को बम से डरा रहे हैं| मुशर्रफ धीरे-धीरे, लेकिन दृढ़ता से उसमें योगदान कर रहे हैँ, जो पाकिस्तान के निर्माण के बाद सबसे बड़ा खतरा रहा है-यानी सभ्यताओं का टकराव|
अपने विषय का गहन अध्ययन करके लिखी गई यह शोधपरक पुस्तक ‘पाकिस्तान: जिन्ना से जेहाद तक’ समकालीन स्थितियों का विश्लेषण करती है और भावी रणनीतिक परिदृश्य पर बड़ी सूक्ष्मता से दृष्टि-निक्षेप करते हुए अनेक अव्यक्त-अनजाने पहलुओं, घटनाओं और रहस्यों को उजागर करती है|
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