$28.00
Print Length
383 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2012
ISBN
8173151059
Weight
470 Gram
पहला सूरज और पवनपुत्र जैसे बहुचर्चित ऐतिहासिक एवं पौराणिक उपन्यासों के पश्चात् श्रीकृष्ण पर आधारित यह बृहत्काय कृति उनके जीवन के पूर्वार्द्ध को अत्यन्त रोचक भाषा और आकर्षक शैली में प्रस्तुत करती है |
सिद्धहस्त लेखक ने श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े चमत्कारों की वैज्ञानिक व्याख्या प्रस्तुत करते हुए आज के जीवन में उसकी प्रासंगिकता को अत्यन्त सफलतापूर्वक रेखांकित किया है |
उपन्यासकार की अवधारणा है कि भगवान् पैदा नहीं होता, बनता है | व्यक्ति ही अपने कृत्यों, आचरणों एवं चरित्र के बल पर शनै: -शनै: मनुष्यत्व से देवत्व, और देवत्व से ईश्वरत्व की ओर अग्रसर होता है |
आधुनिक काल में, जहां जीवन-मूल्य विघटनकारी तत्त्वों के आखेट हो रहे हैं, मानवीय मूल्यों की पुनर्स्थापना ही इस आदर्शोन्मुख उपन्यास का लक्ष्य है, जिसमें लेखक को पर्याप्त फल मिला है | भाषा की प्रांजलता एवं कथा की अबाध गतिशीलता ग्रन्थ को पठनीय बनाती है |
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