Trikon Ke Tinon Kon (त्रिकोण के तीनों कोन)

By Harish Pathak (हरीश पाठक)

Trikon Ke Tinon Kon (त्रिकोण के तीनों कोन)

By Harish Pathak (हरीश पाठक)

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Specifications

Print Length

224 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2010

ISBN

9788173157509

Weight

380 Gram

Description

सच कितने भी पहरों में कैद हो, अँधेरे की कितनी भी परतें उसे दबाएँ, पर उसका विकिरण, उसका तेज सबको चीरकर बाहर आ ही जाता है, सबसे ऊपर, सबसे अलग एक सच वह है, जो अक्षरों के साथ कागज पर उतरता है| एक सच वह भी है, जो अक्षरों से दूर चुपके से खड़ा होता है| यही चुप-चुप खड़ा सच हमें अहसास कराता है कि धूप चाहे बदली में ढक गई हो, सूरज चाहे हाँफने लगा हो, धरती बंजर से हरियाली में तब्दील हो गई हो, नीला जल अपनी शिनाख्त खो बैठा हो, हवाओं ने अपनी शीतलता कम कर दी हो, पर मैं वहीं हूँ-अपनी जगह विश्‍वास के न हिलनेवाले पाँवों पर खड़ा| प्रस्तुत पुस्तक में कल का सच, आज भी उसी विकृति और विद्रूपता के साथ मौजूद है| आज भी याददाश्त न खोनेवाले दिमागों में दर्ज है कि कैसे एक पवित्र जल में स्नान की चाह रखनेवाली महारानी को देखने उमड़ी भीड़ पचपन लोगों की जल-समाधि ले बैठी थी, कैसे मृत घोषित कर दिया गया एक संगीतकार आज भी अपनी धुनें बिखेर रहा है, कि गुंडे आज भी अखबारों और छोटे परदे पर रोज-रोज जगह पा रहे हैं, कि श्‍वसुर को मात देनेवाला एक दामाद वक्‍त से ही मात खा बैठा, कि हत्यारों की कहानी गढ़ते-गढ़ते बीहड़ों के प्रतिनायक जीवन के बीहड़ में आज कितने लाचार और पस्त हैं| ये रपटें,जो समय-समय पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं-यह बताने में पूरी तरह सक्षम हैं कि देश, काल और मौसम के बदलने से न तो जीवन मरता है, न सच मिटता है| मनोरंजक, ज्ञानपरक एवं कौतूहलपूर्ण रचनाओं का संग्रह है- त्रिकोण के तीनों कोण|


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